Lok Sabha Elections: ग्वालियर में कांग्रेस को नहीं मिल रहा उम्मीदवार? BJP ने पकड़ी तेजस की रफ्तार

हेमंत शर्मा

ADVERTISEMENT

MP Congress, Gwalior Lok Sabha Seat, Lok Sabha Election 2024
MP Congress, Gwalior Lok Sabha Seat, Lok Sabha Election 2024
social share
google news

Loksabha election 2024: लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद से पूरे देश समेत ग्वालियर लोकसभा सीट पर भी बीजेपी का चुनाव प्रचार युद्ध स्तर पर चल रहा है, जबकि इसके ठीक उलट कांग्रेस अभी तक चुनाव प्रचार का आगाज भी ग्वालियर लोकसभा में नहीं कर सकी है. चुनाव प्रचार का आगाज तो दूर की बात, कांग्रेस यहां पर अपना प्रत्याशी भी घोषित नहीं कर सकी है. इस वजह से कांग्रेस चुनाव प्रचार की रेस में काफी पीछे रह गई है. खास बात यह है, कि ग्वालियर लोकसभा सीट से भाजपा द्वारा घोषित किए गए प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाहा ने तो अपने प्रथम चरण का चुनाव प्रचार अभियान भी संपन्न कर लिया है.

इस वजह से बीजेपी फायदे में नजर आ रही है, जबकि कांग्रेस के कार्यकर्ता और उनके समर्थक अभी तक अपने नेता की बाट जोह रहे हैं. ग्वालियर लोकसभा सीट पर बीते चार चुनाव से बीजेपी का ही कब्जा है, जिसकी शुरुआत साल 1999 में भाजपा प्रत्याशी जयभान सिंह पवैया की जीत के साथ हुई थी. लेकिन जब इस सीट पर पहला चुनाव हुआ था, उस वक्त ग्वालियर लोकसभा सीट पर हिंदू महासभा ने अपनी जीत का परचम लहराया था.

बीजेपी ने भारत सिंह कुशवाहा के रूप में ओबीसी चेहरा एक महीने पहले ही घोषित कर दिया था लेकिन कांग्रेस अब तक अपना प्रत्याशी यहां तय नहीं कर पाई है, जिसकी वजह से कांग्रेस की स्थिति यहां लगातार चिंतनीय होती जा रही है. स्थानीय स्तर पर इस तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि अब कांग्रेस किसी उम्मीदवार को मैदान में लाती भी है तो उसके पास इतना भी वक्त नहीं होगा कि वह पूरी लोकसभा को कवर करके अपना चुनाव प्रचार भी पूरा कर सके.

ग्वालियर लोकसभा को पहली बार हिंदू महासभा ने जीता था

साल 1952 में हिंदू महासभा के प्रत्याशी वीजी देशपांडे ने यहां जीत दर्ज कराई थी. इसके बाद हिंदू महासभा के ही प्रत्याशी नारायण भास्कर खरे ने हिंदू महासभा की लोकसभा सीट को बरकरार रखा, लेकिन साल 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सूरज प्रसाद ने यह सीट हिंदू महासभा से छीन ली. साल 1962 के चुनाव में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कांग्रेस के टिकट पर ग्वालियर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ी और अपनी जीत भी दर्ज कराई.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

साल 1967 में भारतीय जन संघ के राम अवतार शर्मा ने इस सीट को कांग्रेस से छीन लिया. भारतीय जन संघ के ही टिकट पर चुनाव लड़े अटल बिहारी वाजपेई ने 1971 में हुए चुनाव में एक बार फिर से भारतीय जन संघ को ग्वालियर लोकसभा सीट पर जीत दिलाई, जबकि साल 1977 में जनता पार्टी से नारायण शेजवलकर ने जीत हासिल करते हुए ग्वालियर लोकसभा सीट पर इतिहास रच दिया था.

स्व. माधवराव सिंधिया ने किया कांग्रेस का झंडा बुलंद, बाद में बीजेपी का हो गया कब्जा

1980 के चुनाव में भी नारायण शेजवलकर ने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा. साल 1984 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी से माधवराव सिंधिया ने चुनाव लड़ा और फिर भी लगातार यहां से चुनाव जीतते गए. 1984 से शुरू हुआ माधवराव सिंधिया की जीत का सिलसिला 1989 से लेकर 1991, 1996 और 1998 तक बरकरार रहा. फिर साल 1999 में बीजेपी से जयभान सिंह पवैया ने चुनाव लड़ते हुए संसद का रास्ता साफ किया और यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई.

ADVERTISEMENT

हालांकि साल 2004 के चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस के रामसेवक सिंह ने यहां से जीत दर्ज की. 2007 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर से इस सीट को अपने खाते में कर लिया और यशोधरा राजेश सिंधिया ग्वालियर से सांसद चुनी गई. यशोधरा राजे सिंधिया ने अपनी जीत को बरकरार रखते हुए 2009 में भी बीजेपी का परचम लहराया, जबकि साल 2014 में नरेंद्र सिंह तोमर ने इस सीट पर जीत दर्ज की. बीजेपी के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह तोमर के इसी जीत के सिलसिले को विवेक नारायण शेजवलकर ने आगे बढ़ाते हुए साल 2019 के चुनाव में फतह हासिल की. इस तरह भाजपा के लिए ग्वालियर लोकसभा सीट उसका गढ़ बन गई.

ADVERTISEMENT

कौन हैं बीजेपी उम्मीदवार भारत सिंह कुशवाहा

इस बार के चुनाव में बीजेपी ने भारत सिंह कुशवाहा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. भारत सिंह कुशवाहा शिवराज सरकार में उद्यानिकी मंत्री रह चुके हैं, लेकिन साल 2023 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा से उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी ने भारत सिंह कुशवाहा पर इस बार दांव लगाया है. प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही भारत सिंह कुशवाहा लगातार क्षेत्र में पहुंचकर जनसंपर्क कर रहे हैं. जगह-जगह बीजेपी के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन भी किया जा रहा है, लेकिन इसके उलट कांग्रेस के पास अभी तक उसका कैंडिडेट भी नहीं है.

हालांकि बीजेपी के अंदर भारत सिंह कुशवाहा को लेकर तरह-तरह की बातें भी की जा रही हैं, क्योंकि वे विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हारे थे लेकिन उनको बीजेपी के कद्दावर नेता और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का सबसे नजदीकी माना जाता है और नरेंद्र तोमर गुट की वजह से ही उनको टिकट मिलने के दावे पार्टी के अंदर किए जा रहे हैं.

कांग्रेस को क्यों नहीं मिल पा रहा है कैंडिडेट

सिंधिया के गढ़ में बीजेपी को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस के पास अभी कोई मजबूत चेहरा दिखाई नहीं दे रहा है, हालांकि ग्वालियर दक्षिण विधानसभा से विधायक रहे प्रवीण पाठक के नाम पर विचार चल रहा है. जबकि सतीश सिंह सिकरवार, जो कि वर्तमान में ग्वालियर पूर्व विधानसभा से विधायक हैं, उन्हें भी टिकट की दौड़ में देखा जा रहा है. साल 2004 में कांग्रेस की तरफ से सांसद रहे रामसेवक सिंह के नाम पर भी चर्चा जारी है, लेकिन अभी तक किसी भी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है. इस वजह से कांग्रेस का चुनाव अभियान शुरू भी नहीं हो सका है.

कैसा है ग्वालियर का जातिगत समीकरण

ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में 
ब्राह्मण  250000
क्षत्रिय।150000
जाटव /एससी 300000
मुस्लिम150000
गुर्जर 90000
यादव 135000
रावत।100000
कुशवाह 180000

बघेल=125000

आदिवासी 125000

मराठी 35000

जैन/वैश्य 100000

ये भी पढ़ें- दिग्विजय अपने ही गढ़ में क्या निकाल पाएंगे जिंदगी का आखिरी चुनाव या रोडमल नागर फिर खिलाएंगे कमल?

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT