दिग्विजय सिंह अपने ही गढ़ में क्या जीत पाएंगे जिंदगी का आखिरी चुनाव या रोडमल नागर फिर खिलाएंगे कमल?
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Rajgarh Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज गया है. मध्यप्रदेश में जहां भाजपा 29 सीटें जीतने को लेकर कार्य कर रही है, वहीं राजगढ़ संसदीय सीट पर होने जा रहे इस चुनाव में 2019 की तुलना में मिजाज काफी बदले बदले नजर आ रहे हैं. कारण है कि यहां पर इस बार चुनाव में 33 वर्ष बाद कांग्रेस पार्टी से पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य दिग्विजयसिंह के मैदान में आ जाने से मुकाबला रोचक हो गया है. अब इस सीट पर प्रदेश ही नहीं देश की नजरें भी टिकी हुई हैं.
देखना यह है कि भाजपा अपना 2019 में मिली 4 लाख 31 हजार मतों के जीत के रिकार्ड को बचा पाती है या फिर अपनी प्रभाव वाले राजगढ़ सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सीट पर जीत दर्ज कर पाते हैं.
राजगढ़ सीट से भाजपा ने अपने दो बार के सांसद रह चुके रोड़मल नागर पर भरोसा जताते हुए मैदान में उतारा है. आने वाले एक पखवाड़े के बाद राजनैतिक गतिविधियां तेज हो जाएंगी. ग्राउंड पर जब एमपी तक ने वोटरों से चर्चा की तो कई लोगों ने रोजगार के मुद्दे को उठाया. उन्होने कहा कि आम व्यक्ति को रोजगार चाहिए, लोग शिक्षित हो गए हैं लेकिन अब बेरोजगार हैं. जब वोट करने जाते हैं तो कहीं न कहीं पर रोजगार का मुद्दा जेहन में बना रहता है.
मंहगाई की बात पर भी लोगों ने विचार रखे, वहीं कई लोगों ने राम मंदिर बन जाने पर खुशी जाहिर की व इसको उपलब्धि बताया. स्थानीय जानकारों का मानना है कि कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने अपने दस वर्षीय मुख्यमंत्री कार्यकाल में उस समय क्षेत्र में विकास के कई कार्य करवाए थे जिन्हें दिग्विजय सिंह वोट मांगने के लिए अपना आधार बना सकते हैं.
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दिग्विजय यात्रा के जरिए तो रोडमल PM मोदी के नाम पर कर रहे प्रचार
पूर्व मुख्यमंत्री वादा निभाओ यात्रा के जरिए हर विधानसभा में तीन दिन की पदयात्रा कार्यक्रम कर लोगों के बीच पहुंच कर अपनी बात रख रहे हैं. वहीं भाजपा के रोड़मल नागर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किए गए विकास कार्यो के भरोसे नैया पार होने की बाट जोह रहे हैं. आठ विधानसभा से बने राजगढ़ संसदीय सीट पर राजगढ़ जिले की ब्यावरा, राजगढ़, नरसिंहगढ़, सारंगपुर, खिलचीपुर पांच सीट हैं, वहीं गुना जिले की दो सीट चांचौड़ा व राघोगढ़ हैं, उधर आगर मालवा जिले की सुसनेर सीट हैं. आठ विधानसभा में छह विधायक भाजपा के हैं, वहीं दो विधायक कांग्रेस के हैं.
बेहद दिलचस्प हो गया है राजगढ़ का चुनाव
बता दें राजगढ़ लोकसभा सीट का मुकाबला बड़ा दिलचस्प होगा. इस चुनाव की चर्चा पूरे देश में होगी. भाजपा प्रत्याशी रोडमल नागर खुद कह रहे हैं आप मुझे वोट मत दीजिए, भाजपा और नरेंद्र मोदी को दीजिए. यह चुनाव पूरा नरेंद्र मोदी के ऊपर है. एक समय था जब राजगढ़ को दिग्विजय सिंह का गढ कहा जाता था. लेकिन अब चुनाव कौन जीतेगा या कहना मुश्किल है. इस सीट पर कांटे की टक्कर है.
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राजगढ़ लोकसभा में 18 लाख से अधिक मतदाता
राजगढ़ लोकसभा में 18 लाख 69 हजार 787 कुल मतदाता हैं. राजगढ़ जिले के पांचो विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कल 11 लाख 56 हजार 958 मतदाता हैं जिनमें 05 लाख 90 हजार 349 पुरुष, 5 लाख 66 हजार 599 महिला व 10 थर्ड जेंडर मतदाता हैं. 1378 मतदान केंद्र हैं. चाचौडा राघोगढ़ सुसनेर विधानसभा के तहत 7 लाख 12 हजार 829 मतदाता हैं.
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दिग्विजय सिंह दो बार जीते, एक बार हारे हैं ये सीट
वह 1984 में राजगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जमनालाल गुप्ता को चुनाव हराते हुए सांसद चुने गए थे. तभी से राजगढ़ लोकसभा की सीट की गिनती प्रदेश की प्रमुख सीटों में होने लगी. उसके बाद 1989 के चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार प्यारेलाल खंडेलवाल से 57 हजार मतों से हार का सामना करना पड़ा व उसके बाद हुए 1991 के चुनाव में बहुत ही करीबी मुकाबले में 1 हजार 484 मतों से सांसद प्यारेलाल खंडेलवाल से चुनाव जीते थे.
1993 में उन्हे प्रदेश के मुख्यमंत्री पद का दायित्व कांग्रेस पार्टी ने दिया व श्री सिंह 2003 तक लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. दिग्विजय सिंह के अलावा उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह राजगढ़ लोकसभा सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं.
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