राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर क्या बोले CM मोहन यादव? क्याें कहा- हार के डर से भाग रहे?
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CM Mohan attack on Rahul Gandhi: देश भर में बीते दो दिनों से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने को लेकर खबरें चल रही थी, ऐसा माना जा रहा था कि वे अपनी पुरानी सीट यानि कि अमेठी से ही इस बार चुनाव लड़ सकते हैं. जहां से उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन ऐन वक्त पर राहुल गांधी रायबरेली से तो वहीं अमेठी लोकसभा सीट से किशोरी लाल शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं. इसी पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर तंज कसा है.
सीएम मोहन यादव ने कहा, "मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की तीसरी पारी को लेकर जो वातावरण बना है" आगे कहते हैं, यही कारण है कि कांग्रेस तय नहीं कर पा रही कि क्या करना चाहिए? "राहुल गांधी पिछली बार अमेठी से हार कर केरल तक भागे", "अब वायनाड में हार की आशंका को देखते हुए रायबरेली भाग रहे हैं".
स्मृति ईरानी के डर से अमेठी छोड़ भागे राहुल- सीएम मोहन
सीएम मोहन यादव ने राहुल गांधी के अमेठी के बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ने को लेकर कहा कि " स्मृति जी ने जो पांच साल वहां काम किया है. पांच विधानसभाओं में से 4 सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त कराई है. यूपी का माहौल पूरा मोदी मय है" और यही कारण है कि हम अब अपना ही पुराना रिकॉर्ड तोड़ने जा रहे हैं. स्मृति जी के डर के कारण ही राहुल गांधी अब रायबरेली भाग गए हैं.
मोहन आगे कहते हैं "रायबरेली की जनता भी उनका इंतजार कर रही है कि कांग्रेस विकास में जितने अवरोध पैदा किए है, एक-एक बातों का हिसाब कांग्रेस को देना पड़ेगा. अमेठी की तरह ही रायबरेली से भी राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ेगा" इसके साथ ही सीएम मोहन यादव ने प्रियंका गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने तो रण ही छोड़ दिया है.
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स्मृति ईरानी तोड़ पाएंगी ट्रेंड?
स्मृति ईरानी की नजर 1998 का ट्रेंड तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार संसद पहुंचने वाली अमेठी से बीजेपी की पहली सांसद बनने पर है. वहीं, कांग्रेस को 1999 के नतीजे दोहराते हुए हारी सीट फिर जीत लेने की उम्मीद है. कांग्रेस ने 1998 में हारे उम्मीदवार की जगह नए चेहरे पर दांव लगाया था. पार्टी ने इस बार भी वही फॉर्मूला दोहराया है. ऐसे में देखना होगा कि स्मृति पुराना ट्रेंड तोड़ पाएंगी या केएल शर्मा गांधी गांधी परिवार का खोया गढ़ कांग्रेस पार्टी की झोली में डाल देते हैं.
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