तहसीलदार ने पत्नी के नाम की सरकारी जमीन, अवैध पट्टे बांटने पर EOW की बड़ी कार्रवाई
Gwalior News: ग्वालियर EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने अवैध रूप से लोगों को पट्टा देने के मामले में मुकदमा दर्ज किए हैं. आरोपियों ने ऐसे लोगों को जमीन के पट्टे दिए जो कि उसके लिए पात्र ही नहीं थे. इस मामले में मुरैना के तीन तत्कालीन तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी और उप पंजीयक के […]

Gwalior News: ग्वालियर EOW (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने अवैध रूप से लोगों को पट्टा देने के मामले में मुकदमा दर्ज किए हैं. आरोपियों ने ऐसे लोगों को जमीन के पट्टे दिए जो कि उसके लिए पात्र ही नहीं थे. इस मामले में मुरैना के तीन तत्कालीन तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी और उप पंजीयक के अलावा दर्जनभर पट्टाधारी शामिल हैं. अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में कुछ और आरोपियों के नाम सामने आ सकते हैं
साल 2005 से लेकर 2017 के बीच मुरैना के कैलारस विकासखंड के ग्राम सेमई गुलपुरा और सुरापुरा में इन लोगों ने भ्रष्टाचार करके अपात्र लोगों को पट्टे दे दिए. इतना ही नहीं आरोपियों में शामिल एक पटवारी ने तो अपनी पत्नी का नाम भी शासकीय भूमि को पट्टे के रूप में रिकॉर्ड में दर्ज कर दिया, जबकि उस दौरान पट्टा वितरित करने पर सरकार के लोगों पर रोक लगी हुई थी. ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के मुताबिक इस गड़बड़ी में सरकार को करीब ढाई करोड़ रुपये की चपत लगी है.
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आरोपियों में शामिल नाम
ईओडब्ल्यू ने जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है उनमें तत्कालीन तहसीलदार प्रदीप शर्मा, भरत कुमार, भूदेव महोबिया, नायब तहसीलदार सर्वेश यादव, तत्कालीन रीडर राम गोविंद शर्मा, पटवारी हाकिम यादव, माखन अर्गल, उप पंजीयक आरएन शाक्य सहित पट्टा लेने वाले लोग भी शामिल हैं. आरोपियों पर एक गोपनीय पत्र की शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई है.
गोपनीय शिकायत के आधार पर की कार्रवाई
एक गोपनीय शिकायत के बाद ईओडब्ल्यू ने मामले की जांच शुरू की थी. जांच-पड़ताल में सामने आया कि पटवारी रहे माखन सिंह ने अपनी पत्नी के नाम भी शासकीय भूमि का पट्टा कर दिया है. इसके लिए उसने दस्तावेजों में हेराफेरी भी की है. इतना ही नहीं उसने वरिष्ठ अधिकारियों के नाम, सील और हस्ताक्षर का भी दुरुपयोग किया. ब्यूरो ने आरोपियों के ऊपर सीआरपीसी की धोखाधड़ी और कूट रचित दस्तावेज तैयार करने की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.