Islamnagar Name Changed: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का नाम बदले जाने की चर्चा के बीच ऐतिहासिक किलों और धरोहर वाले इस्लाम नगर का नाम सरकार ने बदल दिया है. अब यह फिर से जगदीशपुर के नाम से पहचाना जाएगा. मध्य प्रदेश में नाम बदलने की श्रृंखला में एक और नाम जुड़ गया. पहले हबीबगंज रेलवे स्टेशन को रानी कमलापति, फिर होशंगाबाद को नर्मदापुरम और अब इस्लाम नगर को जगदीशपुर. बताया जा रहा है कि इस्लाम नगर का पुराना नाम जगदीशपुर ही था, इसलिए अब फिर से अपने पुराने नाम से इसकी पहचान होगी. राज्य की शिवराज सरकार ने बुधवार (1 फरवरी) को नोटिफिकेशन जारी कर गांव का नाम बदलकर जगदीशपुर कर दिया है. केंद्र सरकार ने पहले ही अधिसूचना जारी कर दी थी.
ऐतिहासिक किलों और खूबसूरती के लिए पहचाना जाने वाले जगदीशपुर की इस्लामनगर बनने की कहानी रक्तरंजित है. औरंगजेब की सेना के भगोड़े सैनिक दोस्त मोहम्मद खान ने 308 साल पहले इसका नाम इस्लाम नगर किया था. इसका नाम वापस जगदीशपुर करने की फाइलें 30 साल से भी ज्यादा समय से चल रही थीं.

1 फरवरी बुधवार को राजस्व विभाग ने राजपत्र में अधिसूचना का प्रकाशन कराया है. इसमें बताया गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के 15 सितंबर 2022 को जारी अनापत्ति पत्र के बाद भोपाल जिले के ग्राम इस्लाम नगर का नाम परिवर्तित कर जगदीशपुर किया जाता है. यह अधिसूचना मध्यप्रदेश के राज्यपाल के नाम से एवं आदेशानुसार अपर सचिव चंद्रशेखर वालिंबे द्वारा जारी की गई है. इस्लाम नगर का नाम बदलने के लिए मांग लगभग 30 साल से उठती रही है. करीब 17 साल पहले पंचायत ने सरकार को पत्र लिखकर जगदीशपुर नाम पर अपनी अनापत्ती जाहिर की थी. आखिर कार 308 साल के बाद अब जगदीशपुर को अपना पुराना नाम मिल गया.
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जगदीशपुर कैसे बना था इस्लाम नगर, जानें इतिहास
इस्लामनगर की स्थापना सिपाही दोस्त मोहम्मद (1708-1726) ने की थी. पहले यह जगह जगदीशपुर कहलाता था. औरंगजेब की मृत्यु के बाद की चारों ओर अफरा-तफरी में जब दोस्त मोहम्मद दिल्ली से भाग रहा था, तो उसकी मुलाकात गोंड रानी कमलापति से हुई, कमलापति ने दोस्त मोहम्मद से मदद मांगी थी. वह अपने साथ इस्लामी सभ्यता लेकर आया जिसका प्रभाव उस काल के महलों और दूसरी इमारतों मे साफ दिखाई देता है.
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दोस्त मोहम्मद निजाम से युद्ध में हार गया था इस्लाम नगर किला
इस्लामनगर के किला इतिहास इस्लामनगर से काफी गहरा जुड़ा हुआ है. इसे अफगान कमांडर दोस्त मोहम्मद खान ने 1715 में बनवाया था. 1723 में जब निजाम-उल-मुल्क ने इस्लामनगर की घेराबंदी की, तो थोड़े संघर्ष के बाद ही दोस्त मोहम्मद खान शक्तिशाली निजाम को यह किला सौंपने पर मजबूर हो गए. तब उन्हें अपने बेटे यार मोहम्मद खान को निजाम के पास गिरवी रखना पड़ा था.