सरबजीत जैसी प्रताड़ना: पाकिस्तान में इंडियन से जानवरों जैसा सुलूक, घर लौटे राजू ने सुनाई दर्द की दास्तां

जय नागड़ा

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Khandwa News: मध्य प्रदेश के खंडवा के राजू की आखिरकार 5 साल बाद वतन वापसी हो गई है. गलती से बॉर्डर पार कर पाकिस्तान चला गया था. पाकिस्तान की जेल में सजा पूरी होने के बाद रिहा हुआ राजू अब अपने घर लौट आया है. पिछले सप्ताह से वह अमृतसर में था, मंगलवार देर रात ट्रेन से खंडवा आया, यहां पुलिस ने उसका मेडिकल कराया है. उसे परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है. करीब साढ़े तीन साल से मां-बाप को बेटे का इंतजार था, राजू भी स्टेशन पर आते ही मां से लिपट गया.

खंडवा पहुंचने के बाद राजू ने पाकिस्तान जेल में दी गई प्रताड़ना की कहानी सुनाई, जिसे सुनकर रूह कांप जाएगी. राजू ने बताया कि पाकिस्तान की जेलों में जानवरों जैसा सुलूक किया जाता है.

दरअसल खंडवा का रहने वाला राजू 2019 में किसी तरह राजस्थान के रास्ते पाकिस्तान की बॉर्डर एरिया में चला गया था. राजू को पाकिस्तान के दर्रा गाजी खान में पाकिस्तानी सोल्जर्स ने पकड़ा और उसे भारत की तरफ से भेजा गया है, इसलिए जासूस समझ कर टॉर्चर किया गया. जब पाकिस्तानी आर्मी को ये एहसास हो गया कि राजू जासूस नहीं है तो उन्होंने उसे जेल में डाल दिया.

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राजू के माता-पिता 2019 से ही सरकारी दफ्तरों में अपने बेटे को पाकिस्तान की जेल से वापस लाने के लिए चक्कर लगा रहे थे. 18 फरवरी को खबर आयी की पाकिस्तान ने खंडवा के रहने वाले राजू को रिलीज कर भारत भेज दिया है.

कैदियों के साथ जानवरों जैसा सुलूक
भारतीय कैदियों के साथ बर्ताव को लेकर पाकिस्तान की जेलें अक्सर सुर्खियों में रहती हैं. पाकिस्तान की कोट लखपत जेल तो पहले से चर्चा में है. जेल की क्षमता 4 हजार कैदियों की है, लेकिन वर्तमान में इसमें 17 हजार कैदी हैं. इन जेलों में भारतीय कैदियों के साथ जानवरों जैसा सुलूक किया जाता है. राजू ने बताया पाकिस्तान सेना और पुलिस दोनों ने उसे जासूस समझकर पूछताछ की और इस दौरान उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते रहे, कई घंटो भूखे रखकर पूछताछ की गई. वे लोग एक बिना उजाले वाले कमरे में बंद कर देते थे. घंटो बाद उस कमरें से बाहर निकालते थे और दोबारा मारपीट करके पूछताछ करते.

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मां की दुआएं रंग लाई
राजू के वापस लौटने पर माता-पिता खुश नजर आए. राजू की मां ने जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का भी धन्यवाद किया. राजू की मां बसंता ने बताया कि पांच साल तक उन्होंने राजू को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास किए. आज वह राजू के वापस लौट आने से बहुत खुश हैं.

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प्रशासन ने दिया मदद का भरोसा
कलेक्टर कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि हमें अमृतसर रेडक्रॉस से लैटर प्राप्त हुआ था. जिस पर हमने तत्काल एक टीम गठित की जिसमे पुलिस के जवान, पैरामेडिकल स्टाफ़ और हमारा एक एकाउंटेंट जिला प्रशासन की ओर से गया , वहां लोगो ने अच्छा कोर्डिनेशन किया. आज सुबह अमृतसर से वो खंडवा वापस आ गया है. उसका पूरा मेडिकल चेकअप कराने के बाद परिवार को सौंप दिया गया है. शासन की किसी योजना के तहत उसे सहायता दी जाएगी. जिससे उसे गुजर बसर करने में सहायता होगी.

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