फोटो: एमपी तक
उज्जैन में विक्रमादित्य के राजा बनने से पहले यहां एक प्रथा थी कि जो भी उज्जैन का राजा बनेगा उसकी मृत्यु निश्चित है.
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जिसके बाद विक्रमादित्य ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया था.
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विक्रमादित्य ने कहा था कि राज्य की गद्दी अगर खाली भी है तो भी शासन उसी के नाम से चलेगा. तब से आजतक ये प्रथा चली आ रही है.
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ऐसी मान्यता है कि यदि शासन करने वाला कोई बड़ा नेता या बड़ा अधिकारी यहां रात बिता ले तो उसका सजा मिल सकती है
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महाकाल से बड़ा शासक कोई नहीं है. जहां महाकाल, राजा के रूप में साक्षात विराजमान हो, वहां कोई और राजा हो ही नहीं सकता है.
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जिस क्षण से महाकाल उज्जैन में विराजित हुए हैं, उस क्षण से आज तक उज्जैन का कोई और राजा नहीं हुआ है.
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उज्जैन के केवल एक ही शासक हैं, और वो हैं प्रभु महाकाल. पौराणिक कथाओं के अनुसार कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि निवास नहीं करता है.
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क्योंकि आज भी बाबा महाकाल ही उज्जैन के राजा हैं. यदि कोई भी राजा या मंत्री यहां रात में ठहरता है, तो उसे इसकी सजा भुगतनी पड़ती है.
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महाकाल लोक बनने के बाद से यहां दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ पहले से 10 गुना बढ़ गई है
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महाकाल की नगरी घूमने का प्लान है तो ये 10 स्पॉट यात्रा को बना देंगे यादगार
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