MP POLITICAL NEWS: मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच एक दूसरे से सवाल पूछने का दौर जारी है. शनिवार को भी कमलनाथ ने ट्वीट करके और सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से मुखातिब होकर एक दूसरे से नए सवाल किए. लेकिन जवाब दोनों ने ही नहीं दिए. दोनों ही रोज सवाल करते हैं लेकिन जवाब कोई नहीं देता है. शनिवार को पीसीसी चीफ कमलनाथ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान से युवाओं को नौकरी देने को लेकर सवाल किया तो वहीं सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ से उनकी सरकार में किसानों को जैविक खेती को लेकर जो वादे किए थे, उन्हें लेकर सवाल किए.
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कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा ‘ श्रीरामचरितमानस में भगवान श्री लक्ष्मण को समझाते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने कहा- जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी. सो नृपु अवसि नरक अधिकारी. शिवराज जी, समझदार को इशारा काफी होता है. मध्यप्रदेश में किसान दुखी हैं, मध्यप्रदेश में जवान दुखी हैं, मध्यप्रदेश में नौजवान दुखी हैं, मध्यप्रदेश में माताएं-बहनें दुखी हैं, मध्यप्रदेश में दलित और आदिवासी दुखी हैं. उनके दुख का कारण आपका झूठ है. आपने उनसे झूठा वादा किया था कि हम 50 लाख युवाओं को रोजगार देने के लिए तैयारी करेंगे. कहां है वह तैयारी और कहां है वह रोजगार? जवाब दीजिए, शिवराज जी’.
फिर सीएम शिवराज ने किया सवाल
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया से बात करते हुए पूछा ‘कांग्रेसी आपस में ही कह रहे हैं कि वोट लेने के लिए वचन पत्र में सब लिख दिया. लेकिन उनको पूरा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया. कमलनाथ जवाब दें कि कांग्रेस ने वचन पत्र में जैविक खेती के लिए विशेष पैकेज का ऐलान किया था. अच्छे बीज देने को कहा था. लेकिन जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए आखिर क्यों कुछ नहीं किया’?
इंदौर नगर निगम के ग्रीन बाॉन्ड पर बोले सीएम
सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर नगर निगम के ग्रीन बॉन्ड पर कहा कि ‘इंदौर के लोगों ने अभूतपूर्व काम किया है. सोलर प्लांट के लिए 350 करोड़ रुपए की जरूरत थी. कुछ ही घंटों में बॉन्ड की खरीद से जितना धन चाहिए था, उससे अधिक आ गया. 650 करोड़ रुपए के एमओयू साइन किए गए हैं. मैं इंदौर वासियों को इसके लिए बधाई देता हूं. यह प्रयोग सफल रहा है. प्रदेश के अन्य शहरों में भी ग्रीन बॉन्ड के जरिए विकास कार्य करने पर सरकार विचार कर रही है’. विकास यात्रा को लेकर सीएम ने कहा कि ‘यह कर्मकांड नहीं बल्कि विकास का महायज्ञ है. विकास यात्राएं जन संवाद का माध्यम बन रही हैं’.
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