PC Sharma: मध्यप्रदेश के कर्मचारियों की मांगों के समर्थन में कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा ने पैदल मार्च निकाला. कर्मचारी संगठनों के साथ निकाले गए पैदल मार्च की शुरुआत पत्रकार भवन से हुई. कांग्रेस नेता पीसी शर्मा के नेतृत्व में हो रहे पैदल मार्च को पुलिस ने बिरला मंदिर के आगे ही रोक दिया. पीसी शर्मा ने इस दौरान पीसी शर्मा ने सरकार पर आरोप लगाया कि कर्मचारी लंबे वक्त से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है.
पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने कहा कि कर्मचारियों की 27 मांगे हैं. इन्हें 27 फरवरी को शुरू होने वाले बजट सेशन में माना जाए. उन्होंने कहा कि चाहे शासकीय हो, अर्धशासकीय हो, संविदा कर्मी हो या फिर निगम मंडल के हों, इन सभी की मांगों को सरकार पूरा करे. उन्होंने कहा कि नियमतिकरण और ओल्ड पेंशन जैसी सभी मांगों को पूरा किया जाए. पीसी शर्मा ने कहा कि ये शिवराज सरकार का बजट का आखिरी सेशन है, इसमें मांगों को पूरा किया जाए.
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रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल
प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया.पीसी शर्मा पैदल मार्च कर कर्मचारियों सहित विंध्याचल जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया.प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया. उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड लगाए गए. इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारी बैरिकेड के ऊपर चढ़ने लगे. पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की. प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल भी किया गया.
ट्वीट कर जताया गुस्सा
पीसी शर्मा ने ट्वीट कर वाटर कैनन के इस्तेमाल की निंदा की. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली, नियमितीकरण, DA, प्रमोशन सहित अतिथि शिक्षको की सभी मांगो को लेकर विंध्याचल भवन तक पैदल मार्च कर महामहिम राज्यपाल जी के नाम ज्ञापन सौंपने जा रहे थे, शिवराज सरकार ने वाटर कैनन का इस्तेमाल करके लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की है.

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राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा
पीसी शर्मा ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा कि राज्यपाल अभिभाषण के दौरान इन सभी मांगों को जोड़ें. अभिभाषण में इन सभी मांगों को मान्य करना है.उन्होंने कहा कि ये बजट का आखिरी सेशन है, मांगों को पूरा किया जाए. पीसी शर्मा ने आरोप लगाया कि कई सालों से मांगे हो रही हैं. 18 साल हो गए हैं भारतीय जनता पार्टी की सरकार को, बड़े-बड़े आंदोलन हो रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है.