MGNREGA खत्म करने की तैयारी! मोदी सरकार लाएगी नया ग्रामीण रोजगार कानून, क्या-क्या बदल जाएगा?
MGNREGA Abolish: केंद्र सरकार मनरेगा को खत्म कर उसकी जगह विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) नाम से नया कानून लाने की तैयारी में है. नए प्रस्ताव में काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 करने और राज्यों की भूमिका बढ़ाने का प्रावधान किया गया है.

MGNREGA Abolish: केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार से जुड़ी सबसे बड़ी योजना मनरेगा (MGNREGA) को लेकर बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है. सरकार की योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजागार गारंटी अधिनियम, 2005 को खत्म कर उसकी जगह एक नया कानून लाने की है. जिसका नाम विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G रखा गया है. इस नए कानून से जुड़े बिल को संसद में पेश किए जाने की संभावना है.
मनरेगा की जगह नया कानून क्यों?
सरकार का कहना है कि यह नया कानून ‘विकसित भारत @2047’ के विजन के अनुरूप ग्रामीण विकास के ढांचे को मजबूत करने के लिए लाया जा रहा है. सोमवार यानी 15 दिसंबर को इस प्रस्तावित बिल की प्रति लोकसभा सदस्यों के बीच सर्कुलेट की गई, जिसमें साफ तौर पर बताया गया है कि मौजूदा मनरेगा कानून को रद्द कर नया कानून लागू किया जाएगा.
नए कानून में क्या होगा बदलाव?
मनरेगा(MGNERGA) के तहत अभी ग्रामीण परिवारों को हर साल 100 दिनों के रोज़गार की कानूनी गारंटी मिलती है. नए प्रस्तावित कानून में इस सीमा को बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रावधान किया गया है. साथ ही इसमें राज्यों की भूमिका पहले से ज्यादा अहम होगी और खर्च का बड़ा हिस्सा राज्य सरकारों को उठाना पड़ सकता है.
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इस विधेयक का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में रोजगार के साथ‑साथ आजीविका के स्थायी साधनों को बढ़ावा देना बताया गया है, ताकि गांवों को ज्यादा समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाया जा सके.
सेंट्रल ग्रामीण रोजगार गारंटी काउंसिल का प्रस्ताव
बिल में एक सेंट्रल ग्रामीण रोजगार गारंटी काउंसिल बनाने का भी प्रस्ताव है. इस काउंसिल में एक चेयरपर्सन के अलावा केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, पंचायती राज संस्थाओं के सदस्य, मजदूर संगठनों के प्रतिनिधि और समाज के कमजोर वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले 15 से ज्यादा गैर‑सरकारी सदस्य शामिल होंगे. इसके अलावा भारत सरकार के जॉइंट सेक्रेटरी से नीचे के स्तर का एक मेंबर‑सेक्रेटरी भी होगा.
विपक्ष ने उठाए सवाल
मनरेगा की जगह नए कानून लाने और उसमें महात्मा गांधी का नाम हटाने को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए पूछा कि सरकार महात्मा गांधी का नाम क्यों हटा रही है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी देश और दुनिया के सबसे महान नेताओं में से एक हैं और उनका नाम हटाने की वजह समझ से परे है.
मनरेगा क्या है और क्यों है इतना अहम?
महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट यानी MGNREGA एक ऐसा कानून है, जो ग्रामीण इलाकों में काम करने के अधिकार की गारंटी देता है. इसे साल 2005 में यूपीए सरकार के दौरान लागू किया गया था. शुरुआत में इसका नाम NREGA था, जिसे 2009 में बदलकर MGNREGA कर दिया गया.
इस योजना का मकसद ग्रामीण परिवारों की आजीविका को सुरक्षित करना है. इसके तहत हर ऐसे ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिन का अकुशल मजदूरी वाला काम देने की कानूनी गारंटी है, जो काम करना चाहता है.
दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार योजनाओं में से एक
मनरेगा को दुनिया के सबसे बड़े वर्क गारंटी प्रोग्राम्स में गिना जाता है. साल 2022‑23 तक इस योजना के तहत करीब 15.4 करोड़ एक्टिव वर्कर जुड़े हुए थे. नियमों के मुताबिक लाभार्थियों में कम से कम एक‑तिहाई महिलाएं होनी चाहिए.
इस कानून की सबसे बड़ी खासियत यह रही है कि अगर कोई ग्रामीण व्यक्ति काम मांगने के 15 दिन के अंदर उसे काम नहीं मिलता, तो उसे बेरोज़गारी भत्ता देने का प्रावधान है. साथ ही ग्राम सभाओं और पंचायती राज संस्थाओं को काम की योजना और क्रियान्वयन में अहम भूमिका दी गई है.
अब अगर मनरेगा की जगह नया कानून लागू होता है, तो यह ग्रामीण रोजगार और आजीविका सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नीतिगत बदलाव माना जाएगा. आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि नया कानून जमीन पर कितना असरदार साबित होता है.
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