‘तुम्हारा बेटा रेप केस में फंसा है’, MP में 3 साल के बच्चे के पिता को आया ठग का कॉल...कॉन्स्टेबल ने गजब तरीके से सिचुएशन संभाली

एमपी के बुरहानपुर में साइबर ठगों ने एक ट्रैफिक कॉन्स्टेबल को फर्जी अधिकारी बनाकर कॉल किया. ठग ने कॉन्स्टेबल को उसके तीन साल के बेटे को रेप केस में फंसाने की धमकी दी. फिर गजब हुआ.

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साइबर ठग रोज नए-नए तरीके अपनाते हैं और लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं. पकड़े भी जाते हैं. कई ठग ऐसा जाल बुन लेते हैं कि उनका दांव शुरू में ही फेल हो जाता है. इसी तरह का एक मामला मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले से सामने आया है.  जहां ठगों ने इमोशनल डर दिखाकर एक ट्रैफिक कॉन्स्टेबल से पैसे ऐंठने की कोशिश की. हालांकि, कॉन्स्टेबल ने समझदारी दिखाई तो वह इस ठगी का शिकार होते-होते बच गया. 

ड्यूटी के दौरान आया कॉल

जानकारी के अनुसार, ट्रैफिक कॉन्स्टेबल आशीष तोमर ड्यूटी पर थे. वह गाड़ियां का चालान बना रहे थे. इसी दौरान उनके पास एक कॉल आता है. कॉलर के प्रोफाइल पर पुलिस अधिकारी की तस्वीर लगी हुई थी, जिससे कॉल पहली नजर में भरोसेमंद लग रहा था.

पुणे पुलिस बताकर लगाए गंभीर आरोप

फोन करने वाले व्यक्ति ने खुद को पुणे के एक थाने का पुलिस अधिकारी बताया. उसने कॉन्स्टेबल आशीष का बताया कि तुम्हारा बेटा एक रेप केस में फंस गया है और वह पुलिस की हिरासत में है. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि कॉन्स्टेबल आशीष का बेटा केवल तीन साल का है. जिसका ठग को अंदाजा नहीं था. 

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ठग ने पूरे कॉन्फिडेंस से झूठ बोलते हुए कहा कि अगर अपने बच्चे को बचाना है तो तुरंत 1 लाख 70 हजार रुपए देंगे होंगे. अगर पैसे नहीं देंगे तो उसे जेल भेज देंगे. 

समझदारी से टली बड़ी ठगी

कॉन्स्टेबल आशीष तोमर ने घबराने के बजाय धैर्य और समझदारी से सिच्युएशन को हैंडल किया और कॉलर से बातचीत करते रहे. वह आसपास मौजूद लोगों को भी पूरी बात सुनाते गए.

इसके बाद उन्होंने आसपास के लोगों को जागरुक करते हुए बताया कि कैसे ठग आपको शिकार बनाते हैं. जब कॉन्स्टेबल  ने लोगों को बताया कि मेरा बेटा 3 साल का है तो ये सुनकर लोगों हैरान भी रह गए और उनको समझ आ गया कि यह ठगी का मामला है और कॉल पूरी तरह फर्जी है.

सोशल मीडिया के जरिए दी चेतावनी

कॉन्स्टेबल ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी आम लोगों से अपील की कि किसी भी धमकी भरे या अनजान कॉल पर तुरंत विश्वास न करें. पहले तथ्यों की जांच करें, परिवार से बात करें और जरूरत पड़ने पर स्थानीय पुलिस या साइबर सेल को सूचना दें.

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