mptak
Search Icon

वर्षों से चल रही चमत्कारी गाड़ा खिंचाई की परंपरा, जानें ओझा के इशारे पर कैसे दौड़ पड़े गाड़े

उमेश रेवलिया

ADVERTISEMENT

mptak
social share
google news

Khargone News:   खरगोन में अक्षय तृतीया पर गाड़ा खिंचाई का अनोखा आयोजन किया जाता है. इस आयेाजन में बड़वे यानि कि ओझा के छूते ही 11 बैलगाड़ियों से बना गाड़ा शुरू हो जाता है. इसमें मन्नत लेने वाला श्रद्धालु पुराने कच्चे सूत की डोर से बने रस्सी को गले में पहनते हैं. इन गाडों पर करीब 200 श्रद्धालु खड़े होते हैं. ये परंपरा कई सालों से चली आ रही है.

 आपको बता दें यह परंपरा किसी चमत्कार से कम नहीं है. गाड़े पर 200 से अधिक श्रद्धालु खड़े हुए. कई टन वजन वाला बैलगाड़ियां आपस में बंधी होती हैं, जिन्हें गाड़ा कहा जाता है. गाड़ा खिंचाई के दौरान मन्नत लेने वाला श्रद्धालु आस्था और विश्वास के साथ माता के जयकारे लगाते हुए गाड़ा खिंचाई के लिए तैयार होता है. इस दौरान मंत्रों के उच्चारण के साथ जैसे ही बड़वा (ओझा) गाड़ों को छूता है, कई टन वजनी गाड़े अपने आप चलने लग जाते हैं.

बिना किसी सहारे के चलते हैं गाड़े
गाड़े इस तरह चल पड़ते हैं, जैसे रेल का कोई इंजन डिब्बो को खींच रहा हो. आयोजन को देखने के लिए बिस्टान, पैनपुर, कोठा, उमरखली, कोठा बुजुर्ग, बरुड़ और खरगोन सहित कई गांव के लोग पहुंचे. आयोजन के लिए माता के मंदिर में मंडप बनाकर पूजन किया जाता है. गाड़े को करीब 500 से 800 मीटर दूरी तक खींचकर माता मंदिर तक पहुंचते हैं. इस दौरान गाड़ों पर सवार आसपास मौजूद, श्रद्धालु लगातार माता के जयकारे लगाते हैं. इस आयोजन के दौरान लोगों में अद्भुत उत्साह दिखाई दिया.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

ये भी पढ़ें: सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट ने दिग्विजय सिंह को बताया वायरस, चीन में जन्म देने की दुआ मांगी

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT