जिला अस्पताल बना मंदिर, नवजात बच्चियों को चुनरी ओढ़ाकर किया पूजन; जानिए क्या है वजह?
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Betul News: नवरात्रि के मौके पर वैसे तो मंदिरों में भक्तों की भीड़ दिखाई देती है, लेकिन बैतूल के जिला अस्पताल के महिला वार्ड में पैदा हुई बच्चियों की पूजा के लिए तांता लग गया. दरअसल नवरात्रि के मौके पर बेटी पैदा होने पर बैतूल के अस्पताल में अनोखी पहल की शुरुआत हुई. बैतूल जिला चिकित्सालय में नवरात्र के दौरान पर जन्म लेने वाली बेटियों का जोरदार स्वागत किया गया. उनकी पूजा की गई और कई उपहार दिए गए. आपको बता दें कि नवरात्रि के मौके पर जिला अस्पताल में 20 बेटियों ने जन्म लिया. नवजात बेटियों के सम्मान को देखकर उन्हें जन्म देने वाली मां भी गौरवान्वित हुई.
जहां एक ओर बेटी को बोझ समझा जाता था, तो वहीं दूसरी ओर बैतूल जिला अस्तपाल में नई पहल की शुरुआत कर बेटियों की अहमियत बताने की कोशिश की गई है. बेटी के जन्म होने पर उसका जोरदार तरीके से स्वागत किया गया. बेटी बधाई नवाचार योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के उद्देश्य को लेकर नवरात्रि पर्व पर जिला अस्पताल में जन्म लेने वाली बेटियों का चुनरी उड़ाकर पूजन किया गया और उनको उपहार दिया गया.
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नई पहल की शुरुआत
वैसे तो कई जगह बेटी को देवी का स्वरूप माना जाता है, इसी वजह से नवरात्रि के दौरान कई जगहों पर लड़कियों की पूजा की जाती है. जिला अस्पताल में जन्म लेने वाली नवजात बेटियों को चुनरी ओढ़ाकर पूजा की गई, बच्चों के लिए आने वाली खास मच्छरदानी वाली बेडशीट भेंट की गईं. कार्यक्रम में शामिल हुए जिला योजना अधिकारी सुबोध शर्मा का मानना है कि नवरात्रि के पर्व पर कन्याओं का सम्मान बढ़ाने के लिए किए गया कार्यक्रम एक अनूठी पहल है, जिससे समाज में बेटियों का सम्मान बढ़ेगा.
कन्या पूजन से आती है सुख-समृद्धि
कार्यक्रम में शामिल हुए शिक्षा विभाग के जिला योजना अधिकारी सुबोध शर्मा का कहना है कि दुर्गा स्वरूप कन्याओं का पूजन करके साक्षात भगवती की कृपा पा सकते हैं. कन्या पूजन नवरात्रि पर्व के किसी भी दिन या कभी भी कर सकते हैं. उनका मानना है कि जितनी खुश देवी मां कन्याओं के पूजन से होती हैं, उतनी हवन,जप और दान से प्रसन्न नहीं होती हैं. समाजसेवी शैलेन्द्र बिहारिया का कहना है कि कन्या का पूजन करने से दुःख, दरिद्रता और कई प्रकार की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं. साथ ही घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
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