मासूम के सिर से उठा मां का साया, पिता ने भी साथ छोड़ा तो मदद को आगे आए रतलाम कलेक्टर
ADVERTISEMENT
RATLAM NEWS: रतलाम कलेक्टर कार्यालय में एक मासूम बच्ची अपनी बुजुर्ग दादी के साथ कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी के सामने अपनी दर्द भरी कहानी लेकर पहुंची तो उसे सुनने वाले हर अधिकारी और कर्मचारी की आंखे भर आईं. मासूम बच्ची की उम्र सिर्फ 8 साल है और वह कलेक्टर के पास अपनी शिक्षा के लिए मदद मांगने पहुंची थी. कलेक्टर ने जब मासूम से सवाल किए तो मासूम के जवाब सुनकर कलेक्टर भी अवाक रह गए. बच्ची की दर्दभरी कहानी से कलेक्टर के सामने मौजूद हर अधिकारी-कर्मचारी का दिल भर आया.
मासूम बच्ची का नाम मीनाक्षी शर्मा है. मासूम बच्ची ने कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी के पास पहुंचकर कहा कि वह पढ़ना चाहती है. जब बच्ची के मम्मी-पापा को लेकर कलेक्टर ने पूछा तो बच्ची ने बताया कि उसकी मां उसे जन्म देने के 6 महीने में ही चल बसी. पिता ने कुछ ही समय पहले दूसरी शादी कर ली और उसे बुजुर्ग दादी के पास छोड़ दिया.
स्कूल में लंच कर रहे बच्चों पर मधुमक्खियों का हमला, 25 से ज्यादा बच्चों को काटा; मची चीख-पुकार
ADVERTISEMENT
लेकिन बुजुर्ग दादी के पास बच्ची की पढ़ाई-लिखाई के लिए आर्थिक परेशानियां आ रही हैं. लालन-पालन में भी बुजुर्ग दादी कई दिक्कतों का सामना कर रही है. यह सुनकर कलेक्टर ने तत्काल अपने सभी अधिकारियों को बुलाया. कलेक्टर ने बच्ची को प्यार से अपने साथ बैठाया और कहा कि ‘बेटा, अब आपको किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है’.
कलेक्टर के एक इशारे पर दौड़ने लगे अधिकारी, बच्ची को स्कूल में एडमिशन कराने पहुंचे
कलेक्टर ने एसडीएम, शिक्षा अधिकारी और महिला बाल विकास अधिकारी को तत्काल अपने पास बुलाया और बच्ची का एडमिशन एक निजी स्कूल में कराने के लिए साथ में भेजा. बच्ची और उसकी बुजुर्ग दादी को कलेक्टर ने कहा कि वे अब चिंता ना करें. बच्ची की पढ़ाई का पूरा खर्च मध्यप्रदेश शासन वहन करेगा. हमारे पास बच्ची की मदद करने के लिए पर्याप्त योजनाएं हैं. हम बच्ची का उन योजनाओं में पंजीयन कराने के बाद उसे पढ़ाई के साथ ही दूसरी सुविधाएं भी दिलवा देंगे.
ADVERTISEMENT
फीस जमा नहीं करने के कारण बच्ची को स्कूल से निकाल दिया था
बच्ची की दादी सरिता शर्मा ने कलेक्टर को बताया कि वह मीनाक्षी को शहर के सेंट स्टीफन स्कूल की कक्षा 4 में पढ़ा रही थीं. लेकिन फीस जमा न होने के कारण स्कूल ने बच्ची को निकाल दिया. आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं बची है कि बच्ची की पढ़ाई का खर्च उठाया जा सके. कलेक्टर ने बच्ची की दादी को भरोसा दिया कि अब वे बच्ची की पढ़ाई की चिंता ना करें. अब जिम्मेदारी रतलाम प्रशासन की है. इसके बाद कलेक्टर ने बच्ची और उसकी दादी को जवाहर नगर स्थित उनके घर तक अपने निजी वाहन से पहुंचवाया.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT