मां पीताम्बरा पीठ को क्यों माना जाता है राजसत्ता की देवी? पीएम रहते 5 बार आई थीं इंदिरा गांधी; जानिए पूरी कहानी

अशोक शर्मा

27 Feb 2023 (अपडेटेड: Feb 27 2023 2:34 PM)

Shri Pitambara Peeth Datia: मध्यप्रदेश के दतिया शहर में पीताम्बरा पीठ स्थित है. इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है. यहां पर महाभारतकालीन वनखण्डेश्वर शिव मंदिर स्थित है. कहते हैं कि पीताम्बरा पीठ क्षेत्र में श्री स्वामीजी महाराज के द्वारा मां बगलामुखी देवी और माता धूमवाती देवी की मूर्ति की स्थापना 1935 में की गयी थी. […]

Ma peetambara peeth, Datia, Rajsatta ki devi

Ma peetambara peeth, Datia, Rajsatta ki devi

follow google news

Shri Pitambara Peeth Datia: मध्यप्रदेश के दतिया शहर में पीताम्बरा पीठ स्थित है. इसे शक्तिपीठ भी माना जाता है. यहां पर महाभारतकालीन वनखण्डेश्वर शिव मंदिर स्थित है. कहते हैं कि पीताम्बरा पीठ क्षेत्र में श्री स्वामीजी महाराज के द्वारा मां बगलामुखी देवी और माता धूमवाती देवी की मूर्ति की स्थापना 1935 में की गयी थी. 10 महाविद्याओं में से एक सातवीं उग्र शक्ति मां धूमावती का प्रकटोत्सव ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाते हैं, जबकि हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है. पीताम्बरा पीठ को राजसत्ता और न्याय की देवी माना जाता है, जिनके दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है.

यह भी पढ़ें...

चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से शुरू हो रही है, नवरात्रि के 7 दिन तक मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि विधान से पूजा की जाती है. मध्य प्रदेश में मां देवी के कई सिद्धपीठ और स्थान हैं, लेकिन इनमें मां पीताम्बरा का अलग स्थान है. राजसत्ता और न्याय की देवी मां पीताम्बरा पीठ की स्थापना कब और कैसे हुई..? इसकी पूरी कहानी MP Tak की इस खास खबर में जानिए…

देश के शक्तिपीठों में शुमार पीताम्बरा पीठ पर 10 महाविद्याओं में से एक मां बगलामुखी देवी साक्षात विराजमान हैं, ये राजसत्ता और न्याय की देवी हैं. जिनके दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है. विश्वविख्यात पीताम्बरा पीठ पर मां बगलामुखी देवी की स्थापना 1935 में जब यहां स्वामीजी ने की तब यहां आने से भी लोग डरते थे. पीताम्बरा माई की स्थापना के साथ ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई. पीताम्बरा माई जिन्हें लोग मां बगलामुखी देवी के नाम से भी जानते हैं.

धीरे-धीरे बढ़ने लगी प्रसिद्धि, लगने लगा मां के भक्तों का तांता
माई की स्थापना के कुछ सालों में ही पीताम्बरा पीठ की ख्याति इतनी बढ़ गई. पूरे देश से लोग आने लगे बढ़ने लगी, प्रकांड पंडितों और तंत्र मंत्र के जानकारों का मानना है कि 10 महाविद्याओं में मां बगलामुखी देवी ऐसी देवी हैं अनुष्ठान और अभिषेक से जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं. राजसत्ता की देवी होने के कारण यहां आम लोगों के साथ साथ खास लोगों का भी जमघट लगा रहा है. मां बगलामुखी देवी की ख्याति बगलामुखी अनुष्ठान के द्वारा हर तरह की मनोकामना पूरी करने के लिए भी है.

फोटो- अशोक शर्मा

इसलिए माना जाता है राजसत्ता की देवी
मां पीताम्बरा को राजसत्ता की देवी माना जाता है, यही कारण है कि राजनेताओं का भी यहां तांता लगा रहता है. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहते यहां 5 बार आईं, इसके अलावा कई प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से लेकर देश के सभी प्रमुख राजनेता और वीआईपी यहां आते रहते हैं. हां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही क्यों न हो सभी ने माता का आशीर्वाद प्राप्त किया. ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर आने वाले की मुराद जरूर पूरी होती है, उन्हें राजसत्ता का सुख जरूर मिलता है.

मां की कृपा से सत्ता के शिखर पर पहुंचे राजनेता
माधवराव सिंधिया, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, उमा भारती, वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी मां पीतांबरा शक्ति बगलामुखी की कृपा से राजनीति की ऊंचाइयों के शिखर को छुआ है. बताया जाता है कि मुबई बम कांड के दोषी संजय दत्त भी अपने ऊपर चल रहे मुकदमे के दौरान मां के दरबार में मत्था टेकने आए थे.

बगलामुखी शक्तिपीठ: भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर और शक्तिपीठ माने गए हैं, जो क्रमश: दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्यप्रदेश) में हैं. तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है.

फोटो- अशोक शर्मा

देवी की उत्पत्ति: बगलामुखी देवी का प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में माना जाता है. कहते हैं कि हल्दी रंग के जल से इनका प्रकाट्य हुआ था. एक अन्य मान्यता अनुसार देवी का प्रादुर्भाव भगवान विष्णु से संबंधित हैं. परिणामस्वरूप देवी सत्व गुण सम्पन्न तथा वैष्णव संप्रदाय से संबंध रखती हैं. परन्तु, कुछ अन्य परिस्थितियों में देवी तामसी गुण से संबंध भी रखती हैं. देश के शक्ति पीठों में शुमार पीताम्बरा पीठ पर दस महाविद्याओं में से दो महाविद्या यानि मां बगलामुखी और मां धूमावती तो विराजमान हैं ही. साथ ही यहां महाभारत कालीन शिवालय भी जिनके बारे में जनश्रुति है कि यहां आज भी अश्वत्थामा पूजा करने आते थे.

मां की स्थापना की ये है कहानी
करीब 91 साल पूर्व जब स्वामीजी आये, तब यहां घनघोर जंगल था. लेकिन मां बगलामुखी देवी की स्थापना के पूर्व अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर था वन में होने के कारण लोग इस मंदिर वन खंडेश्वर महादेव के नाम से जानते थे, कहा जाता है कि ये शिवालय महाभारत कालीन है. यहां के शिवजी की स्थापना पांडवों ने की थी. जनश्रुति है पांडवों द्वारा शिवजी की स्थापना से यह मंदिर अत्यंत सिद्ध है इसलिए अश्वत्थामा यहां भोलेनाथ की पूजा करने आता है लोगों का तो यहां तक मानना है कि आज भी अश्वत्थामा यहां पूजा करने आते हैं.

    follow google newsfollow whatsapp