रतलाम: जमीन बेचकर भी जब नहीं हुआ पिता का इलाज तो जानें आदिवासी बेटी ने कैसे दिलाया जीवनदान?

विजय मीणा

21 Mar 2023 (अपडेटेड: Mar 21 2023 5:01 AM)

Ratlam News: आदिवासी समाज से आने वाली एक बेटी ने अपने बीमार पिता के इलाज में आ रही आर्थिक बाधाओं को दूर करने के लिए कलेक्टर के द्वार पहुंच गई. मजदूर परिवार से आने वाली बेटी जब हर तरह से हालातों से हार गई, अपने पिता के इलाज के लिए कोई रास्ता नजर नहीं आ […]

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Ratlam News: आदिवासी समाज से आने वाली एक बेटी ने अपने बीमार पिता के इलाज में आ रही आर्थिक बाधाओं को दूर करने के लिए कलेक्टर के द्वार पहुंच गई. मजदूर परिवार से आने वाली बेटी जब हर तरह से हालातों से हार गई, अपने पिता के इलाज के लिए कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था, तो कलेक्टर के दफ्तर पहुंचकर मदद की गुहार लगाई. कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, स्वयं अस्पताल पहुंचे और उसके पिता का इलाज शुरू करवाया गया. कलेक्टर ने अन्य खर्चों के लिए बालिका को रेड क्रॉस से 25 हजार रूपए का चेक भी दिया.

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निजी अस्पताल में भर्ती भुर्जी चरपोटा का 2 महीने पहले एक्सीडेंट हो गया था. एख निजी अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा था. खर्चा ज्यादा होने से मजदूर परिवार ने जमीन तक बेंच दी, इसके बावजूद भी इलाज का खर्च नहीं चुका पा रहे थे. इससे निराश होकर उनकी बेटी ने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि नया रास्ता निकाल लिया. बेटी मनीषा चरपोटा पिता की इलाज में मदद की गुहार लगाने कलेक्टर के पास पहुंच गई.

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एक्सीडेंट में आई गंभीर चोट
जिले के आदिवासी विकास खण्ड बाजना के ग्राम इमली पाड़ा निवासी भुर्जी चरपोटा बाइक से जा रहे थे, तभी एक मैजिक ने उन्हें टक्कर मार दी थी. गंभीर रूप से घायल भुर्जी को परिजन ने रतलाम के निजी अस्पताल शाह नर्सिंग होम में भर्ती कराया था, जहां उनका उपचार किया जा रहा था. सिर में गहरी चोट होने की वजह इलाज लम्बा चला. अस्पताल ने इलाज खर्च के करीब चार लाख रुपये लिए. फिर दो लाख का बिल और बताया, इसके अलावा दवाइयों और जांच का भी खर्च अधिक हुआ.

फोटो: विजय मीणा

इलााज के लिए बेंच दी जमीन
परिजनों ने इलाज का खर्चा चुकाने के लिए अपनी दो बीघा जमीन बेंच दी. ब्याज से पैसा लिया, लेकिन फिर भी खर्च पूरा नहीं होने से हिम्मत हारने लगे. पैसा नहीं देने पर अस्पताल प्रशासन मरीज को घर ले जाने ले नहीं दे रहे थे और न ही आगे का इलाज किया जा रहा था. इससे निराश होकर मरीज की बेटी मनीषा चरपोटा कलेक्टर के पास पहुंची. उसने कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी के पास बीमार पिता के इलाज की गुहार लगाई. कलेक्टर सूर्यवंशी ने संवेदनशीलता जताई और स्वयं अस्पताल पहुंच गए.

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इलाज का खर्च उठाएंगे कलेक्टर
कलेक्टर की सिफारिश पर अस्पताल प्रशासन ने मरीज के बिल से दो लाख रुपये कम कर दिए , कलेक्टर ने पूरे उपचार का खर्च वहन करने की बात कहते हुए बीमार पिता को पुनः आईसीयू में भर्ती कराया और उपचार शुरू करवाया. कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने बेटी मनीषा की हिम्मत की सराहना करते हुए कहा कि उपचार का खर्च हम उठाएंगे, अस्पताल प्रशासन को बोल दिया है, रेडक्रॉस से भी मदद मिलेगी, आयुष्मान हॉस्पिटल भी देख रहे हैं.

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