बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मिला हजारों साल से दबा ‘खजाना’, 2000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष

रावेंद्र शुक्ला

05 May 2023 (अपडेटेड: May 8 2023 8:29 AM)

Bandhavgarh Tiger Reserve: बांधवगढ़ में खुदाई के दौरान सदियों पुरानी धरोहरें मिली हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 2 प्राचीन स्तूप मिले हैं. 15 और 18 फ़ीट ऊंचे ये स्तूप बौद्ध धर्म से संबंधित हैं, जो इस इलाके में बौद्ध धर्म के प्रभाव की तरफ इशारा करते हैं. एएसआई के ताजा […]

Treasure buried Bandhavgarh Tiger Reserve, Civilization, MP news

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Bandhavgarh Tiger Reserve: बांधवगढ़ में खुदाई के दौरान सदियों पुरानी धरोहरें मिली हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 2 प्राचीन स्तूप मिले हैं. 15 और 18 फ़ीट ऊंचे ये स्तूप बौद्ध धर्म से संबंधित हैं, जो इस इलाके में बौद्ध धर्म के प्रभाव की तरफ इशारा करते हैं. एएसआई के ताजा अनुसंधान में 2000 साल पुरानी सभ्यता के प्रमाण मिले हैं. ASI को मिले प्रमाण बांधवगढ़ के इतिहास में नए आयाम जोड़ेंगे.

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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के ताला क्षेत्र में अन्वेषण का कार्य किया जा रहा है. वर्ष 2022 में खोज के पहले चरण में ASI को 26 प्राचीन मंदिर, 26 गुफाएं, 2 मठ, 2 स्तूप, 46 प्रतिमायें, 24 अभिलेख, 20 बिखरे हुए अवशेष और 19 जल संरचनाएं मिली थी. 1 अप्रैल 2023 से दूसरा चरण शुरू हुआ है, जिसमें दो प्राचीन स्तूप मिले हैं. 1500 साल पुरानी रॉक पेंटिंग और 2000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं. 

अनुसंधान में मिली ये अनमोल चीजें
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पुरातत्वविद डॉ. शिवाकांत बाजपेयी के अनुसार दूसरे चरण में चल रही खोज में ऐसी गुफाएं मिली हैं, जिनसे ये प्रमाणित होता है कि लोग इन गुफाओं में अच्छी तरह से रह रहे थे. पास ही मिली जल संरचनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि उस समय के लोग भी जल संरक्षण को लेकर जागरूक थे. ताज़ा अन्वेषण में मिले बौद्ध स्तूप इस इलाके में बौद्ध धर्म के प्रभाव को भी प्रमाणित करते हैं. कुछ गुफाओं में शैल चित्र भी प्राप्त हुए हैं.

फोटो- बांधवगढ़ नेशनल पार्क में ताजा रिसर्च में मिली रॉक पेंटिंग की हैं.

पुराने जमाने में व्यापारिक मार्ग था बांधवगढ़
डॉ शिवाकांत बाजपेयी के अनुसार अन्वेषण के दौरान मिले अवशेषों केअध्ययन के बाद बांधवगढ़ में रही प्राचीन सभ्यताओं और इसके इसिहास के कई राज खुलेंगे. लेकिन अभी तक कि खोज से यह जरूर संकेत मिलता है कि कौशाम्बी के राजाओं द्वारा उत्तर को दक्षिण से जोड़ने वाले व्यापारिक मार्ग का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बांधवगढ़ था. यहीं से होकर व्यापार होता था.

एमपी तक.

बघेल राजाओं के अधीन था
बांधवगढ़ के जिस इलाके में यह अन्वेषण कार्य चल रहा है, वह इलाका टाइगर रिजर्व की सीमा के अंदर आता है. सरकार के नियंत्रण में आने के पूर्व लंबे समय तक बांधवगढ़ का किला रीवा के बघेल राजाओं के अधीन रहा. ऐसी किवदंती भी प्रचलित है कि लंका से लौटते समय भगवान राम ने अपने अनुज लक्ष्मण को यह किला उपहार स्वरूप दिया था. किले परिसर के अंदर ही पत्थरों को काट कर बनाई गई विष्णु के अवतारों की प्रतिमाएं हैं. वहीं, चरणगंगा नदी के उद्गम स्थल पर चट्टान को काट कर बनाई गई लेटे हुए विष्णु भगवान की प्रतिमा अनूठी है.

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