Madhya Pradesh Lok Sabha Election Phase 1: मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर पहले दौर का मतदान कल 19 अप्रैल को होना है. मध्यप्रदेश में कल सीधी, शहडोल, जबलपुर, मंडला, बालाघाट, छिंदवाड़ा सहित 6 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. लेकिन ग्राउंड से जिस तरह की रिपोर्ट सामने आ रही हैं, वह बता रही हैं कि इस बार बीजेपी के लिए यह चुनाव इतना आसान नहीं होने वाला है. बीजेपी भले ही 29-0 का टारगेट सेट करके बैठी हुई है लेकिन पहले दौर के चुनाव में ही 6 में से 3 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी बीजेपी को कांटे की टक्कर देते हुए दिखाई दे रहे हैं. हालांकि अन्य तीन सीटों पर बीजेपी की स्थिति कांग्रेस से अधिक मजबूत नजर आ रही है. आईए जानते हैं किस सीट पर, कैसा है राजनीतिक समीकरण.
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छिंदवाड़ा, मंडला और सीधी में कांग्रेस दे रही टक्कर
छिंदवाड़ा, मंडला और सीधी वे सीटें हैं, जहां पर कांग्रेस के उम्मीदवार, बीजेपी को कांटे की टक्कर देते हुए दिख रहे हैं. छिंदवाड़ा सीट पर पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ उम्मीदवार बनाए गए हैं. नकुलनाथ वर्तमान में छिंदवाड़ा से सांसद हैं. छिंदवाड़ा सीट दशकों से कमलनाथ और उनके परिवार के पास रही है. लेकिन इस बार बीजेपी ने छिंदवाड़ा सीट के लिए पूरी ताकत झौंक दी.
नतीजा ये हुआ कि कमलनाथ के सबसे करीबी नेता दीपक सक्सेना हों या उनके विधायक, मेयर और अन्य नेता हों, उन सभी को बीजेपी में शामिल करा लिया गया. लेकिन कमलनाथ ने भी बीजेपी के इस दांव का मुकाबला अपनी इमोशनल अपील के जरिए किया, जिसमें उन्होंने रैली और जनसभाओं में छिंदवाड़ा की जनता से अपने द्वारा किए गए कामों और अपने पारिवारिक संबंधों का हवाला दे रहे हैं.
बीजेपी ने यहां से विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा है. जो विधानसभा चुनाव में कमलनाथ को भी कांटे की टक्कर दे चुके हैं. कुल मिलाकर बीजेपी की पूरी ताकत लगने के बाद भी छिंदवाड़ा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है.
मंडला में बीजेपी ने हारे हुए केंद्रीय मंत्री पर लगाया दांव, कांग्रेस विधायक दे रहे टक्कर
बीजेपी ने मंडला सीट से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को अपना उम्मीदवार बनाया है. फग्गन सिंह कुलस्ते को बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के दौरान भी मंडला की निवास सीट से मौका दिया था लेकिन वे चुनाव हार गए थे. बीजेपी ने एक बार फिर से उनको मौका दिया है. लेकिन ग्राउंड पर उनकी स्थिति अभी भी कमजोर बताई जा रही है.
वहीं इनकी तुलना में कांग्रेस ने अपने वर्तमान विधायक ओमकार सिंह मरकाम को मैदान में उतारा है. जिनकी लोकप्रियता आदिवासी इलाके में लगातार बढ़ रही है. मंडला सीट पर 8 विधानसभा आती हैं. इन 8 विधानसभा में से 5 विधानसभा को कांग्रेस ने जीता हुआ है. इस वजह से भी मंडला सीट पर ग्राउंड पर कांग्रेस अधिक मजबूत नजर आ रही है. लेकिन फग्गन सिंह कुलस्ते पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोट मांग रहे हैं. जाहिर है कि यहां भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच बेहद नजदीकी मुकाबला देखने को मिलेगा.
सीधी में बीजेपी को भितरघात का खतरा
वहीं सीधी सीट पर भी बीजेपी की स्थिति कांग्रेस के मुकाबले अधिक मजबूत नजर नहीं आ रही है. इसकी बड़ी वजह है सीधी सीट पर बीजेपी को भितरघात का डर. सीधी जिले में बीजेपी के नेता अंदरखाने में एक दूसरे के साथ नजर नहीं आ रहे हैं. सीधी पेशाब कांड के बाद से यहां के बड़े बीजेपी नेता और पूर्व विधायक केदारनाथ शुक्ला का राजनीतिक कैरियर खत्म हो गया.
उनके स्थान पर बीजेपी ने सीधी सीट पर डॉ. राजेश मिश्रा को अपना उम्मीदवार बनाया है. अब तक यहां से सांसद रहीं रीती पाठक को बीजेपी ने विधानसभा चुनाव लड़ाकर विधायक बनवा दिया लेकिन कैबिनेट में उनको मंत्री पद नहीं दिया. जिसके बाद से ही रीती पाठक का तालमेल बीजेपी उम्मीदवार व अन्य नेताओं के साथ उतना मजबूत नहीं दिख रहा है.
पूर्व विधायक केदारनाथ शुक्ला भी बीजेपी और उनके उम्मीदवार से खिन्न नजर आ रहे हैं. कुल मिलाकर बीजेपी को यहां भितरघात की आशंका जरूर है. वहीं कांग्रेस ने सीधी सीट से कमलेश्वर पटेल को मौका दिया. कमलेश्वर पटेल के लिए भी यह चुनाव राजनीतिक कैरियर के लिहाज से अति महत्वपूर्ण है. वे बीजेपी के अंदर मची खींचतान का पूरा फायदा उठाने की कोशिश करेंगे. कुल मिलाकर सीधी सीट पर भी बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिल सकता है.
शहडोल, जबलपुर, बालाघाट में बीजेपी की स्थिति दिख रही मजबूत
वहीं शहडोल, जबलपुर और बालाघाट में बीजेपी की स्थिति कांग्रेस की तुलना में अधिक मजबूत नजर आ रही है. शहडोल में बीजेपी ने हिमाद्री सिंह को मौका दिया है, जबकि कांग्रेस को यहां पर उम्मीदवार की तलाश करने में खासा मशक्कत करना पड़ी, तब जाकर उनको फुंदेलाल मॉर्काे को उम्मीदवार बनाना पड़ा. शहडोल में 8 विधानसभा सीटों में से सात विधानसभा सीटे बीजेपी के पास हैं. ऐसे में ग्राउंड पर तो बीजेपी की स्थिति अधिक मजबूत बनी हुई है.
वहीं जबलपुर में बीजेपी ने आशीष दुबे को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने दिनेश यादव को आगे किया है. लेकिन कांग्रेस के यहां कद्दावर नेता रहे मेयर जगत बहादुर अन्नू ऐन मौके पर कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. यदि वे कांग्रेस में होते तो वे ही कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवार होते. लेकिन बीजेपी ने यहां सेंधमारी कर मेयर जगत बहादुर अन्नू को अपने पाले में मिला लिया. जिससे यहां कांग्रेस काफी कमजोर नजर आ रही है.वहीं जबलपुर में खुद पीएम नरेंद्र मोदी यहां रोड शो कर भाजपा के पक्ष में मजबूत हवा बना चुके हैं.
उधर बालाघाट में बीजेपी ने नए चेहरे भारती पारधी को अपना उम्मीदवार बनाया है तो वहीं कांग्रेस को यहां भी उम्मीदवारी के संकट से जूझना पड़ा और काफी मशक्कत के बाद उन्होंने बालाघाट सीट पर पूर्व विधायक अशोक सरस्वार के बेटे सम्राट सिंह को अपना उम्मीदवार बनाना पड़ा. वहीं बसपा से कंकर मुंजारे चुनावी मैदान में हैं और उनका दखल क्षेत्र में काफी मजबूत बताया जा रहा है. ऐसे में बालाघाट में त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनती नजर आ रही है. जाहिर है, यहां बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के बीच नजदीकी मुकाबला होता है तो इसका नुकसान कांग्रेस को अधिक होने का अनुमान राजनीतिक विश्लेषक लगा रहे हैं.
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