BJP के 10 साल कमलनाथ के 45 साल पर पड़ेंगे भारी? क्या इस बार बचा पाएंगे छिंदवाड़ा सीट?

अमन तिवारी

18 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 18 2024 2:05 PM)

मैंने अपनी जवानी छिंदवाड़ा के लिए समर्पित कर दी, अब मैं अपनी अंतिम सांस भी छिंदवाड़ा के लिए ही समर्पित करना चाहता हूं..." आखिरी चुनावी सभा में इमोशनल हुए पूर्व सीएम कमलनाथ...क्या सीट बचा पाने होंगे कामयाब? आइये जानते हैं...

छिंदवाड़ा को कैसे बचाएंगे कमलनाथ

Kamalnath_Nakulnath

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Chhindwara Loksabha Seat: "मैंने अपनी जवानी छिंदवाड़ा के लिए समर्पित कर दी, अब मैं अपनी अंतिम सांस भी छिंदवाड़ा के लिए ही समर्पित करना चाहता हूं..." ये शब्द पूर्व सीएम कमलनाथ ने चुनाव प्रचार की अपनी आखिरी सभा में कहे. वह मंच पर फिर से इमोशनल हो गए. इससे साफ जाहिर होता है कि 9 बार छिंदवाड़ा से सांसद रहे कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ के लिए ये चुनाव करो या मरो की लड़ाई में तब्दील हो गया है. 

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बता दें कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में जिन छह सीटों पर चुनाव कराया जाना है, उनमें सबसे हॉट सीट छिंदवाड़ा हैं. जिस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. क्या छिंदवाड़ा जीतने के लिए कमलनाथ का कोई पक्का प्लान तैयार है? और क्या बीजेपी की 15 सालों की मेहनत इस बार काम आएगी? आइए बताते हैं...

 

 

इस सीट पर बीजेपी ने अपनी पूरा ताकत के साथ प्रचार किया है, तो वहीं पहली बार नाथ परिवार को अपने ही गढ़ मैदान पर उतरना पड़ा है. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस बार का चुनाव दोनों ही पार्टियों के लिए आसान नहीं है. 

बीजेपी को पुरानी मेहनत का मिलेगा फल?

कमलनाथ अपने ही गढ़ छिंदवाड़ा में कमजोर इस चुनाव में नही हुए हैं, बल्कि पिछले 15 सालों से उनका ये किला धीरे-धीरे दरक रहा था. ऐसा इसलिए क्योंकि साल 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही लगातार कमलनाथ की जीत का अंतर छिंदवाड़ा में कम होता गया, भले ही कांग्रेस वहां मजबूत होने का दावा करती है, लेकिन हकीकत ये थी कि बीजेपी की मेहनत इस क्षेत्र पर लंबे समय से चली आ रही थी. यही कारण है कि यहां आज जो स्थिति निर्मित हुई वो कोई नई बात नहीं है. 

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2009 और 2019 में कितना बदल गया छिंदवाड़ा में जीत का मार्जिन?

साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की तरफ कमलनाथ तो वहीं बीजेपी की तरफ से मारोत राव खवासे चुनावी मैदान में थे. इस चुनाव में कमलनाथ को 121220 वोटों से जीत मिली थी. तो वहीं वोट प्रतिशत की बात की जाए तो करीब 49.41प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि बीजेपी के खवासे को 34.79 प्रतिशत वोट मिले थे. इसी चुनाव के बाद से कमलनाथ का किला कमजोर होने लगा था.

साल 2014 में पूरे देश मोदी लहर थी, इस दौरान मध्य प्रदेश में कांग्रेस केवल 2 सीटें बचाने में कामयाब हो पाई थी. जिनमें छिंदवाड़ा भी शामिल थी. उस चुनाव में कमलनाथ और बीजेपी चौधरी चंद्रभान सिंह के बीच मुकाबला हुआ था. इस चुनाव में भले कमलनाथ न सिर्फ लीड कम हुई थी बल्कि बीजेपी के वोट प्रतिशत में भी अच्छी खासी वद्धि दर्ज की गई थी. इस चुनाव में कमलनाथ 116537 वोटों से चुनाव जीते थे. तो वहीं बीजेपी ने सीधे 6 प्रतिशत वोट प्रतिशत में बढ़त हासिल की थी. 

 

 

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, और कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इसी कारण उन्होंने इस सीट से अपने बेटे नकुलनाथ को चुनावी मैदान में उतारा था. इस चुनाव बीजेपी को भले ही हार का सामना करना पड़ा हो लेकिन कांग्रेस के लिए ये चुनाव आसान नहीं था. चुनाव के दौरान हमेशा एक लाख अधिक लीड से सीट जीतने वाले कमलनाथ अपने बेटे केा महज 37536 वोटों से चुनाव जिताने में सफल हो पाए. 

2019 के चुनाव में भी बीजेपी ने वोट प्रतिशत में फिर एक अच्छी उछाल दर्ज की थी. यही कारण माना जा रहा है कि कमलनाथ का किला इस बार काफी मुश्किलों में है. 

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इस चुनाव में पूरा नाथ परिवार मैदान में

लोकसभा चुनाव से पहले छिंदवाड़ा में कमलनाथ के करीबी एक के बाद एक साथ छोड़ते चले गए. हजारों कार्यकर्ताओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया. इसके बाद कमलनाथ ने छिंदवाड़ा सीट पर ही खुद को केंद्रित कर लिया. प्रचार के दौरान भावुक बातें और पुराना रिश्ता जनता को याद दिलाया. पूरा नाथ परिवार फिर चाहे कमलनाथ की पत्नि हों या फिर नकुलनाथ की पत्नि सभी चुनाव प्रचार करते नजर आए. इस सीट पर प्रत्याशी भले ही नकुलनाथ हों पर चुनाव बीजेपी और कमलनाथ के बीच माना जा रहा है.

छिंदवाड़ा के स्थानीय लोग बताते हैं कि इससे पहले नाथ परिवार को इस हालत में कभी नहीं देखा है. जब पूरे परिवार को ही चुनाव प्रचार में उतरना पड़ा हो, यही कारण है कि इस सीट पर मुकाबला कांटे का माना जा रहा है. परिणाम कुछ भी हो सकते हैं.

19 अप्रैल को इस सीट पर वोटिंग हो जाएगी. जिसके परिणाम 4 जून को आएंगे तब पता चलेगा कि कमलनाथ का किला बचता है या फिर बीजेपी की सालों की मेहनत काम आती है.  

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