Chhindwara Loksabha Seat: मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में आज चुनावी शोर गुल थम गया है. 19 अप्रैल को यहां पहले चरण में चुनाव होना है. इसके लिए आज चुनाव प्रचार के आखिरी दिन राजनीतिक पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव ने जिले के चौरई क्षेत्र के ग्राम धनोरा में अपने प्रत्यशी के पक्ष में एक सभा की. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने सांसद बेटे के लिए आज पांढुर्ना क्षेत्र में 3 जनसभाएं की हैं.
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इधर, कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ ने एक और उनकी पत्नी प्रिया नाथ ने एक सभा की है. आज रामनवमी के पावन पर्व पर नकुलनाथ ओर बीजेपी प्रत्यशी विवेक बंटी साहू ने जिले की जनता को शुभकामना दी है. नकुलनाथ ने रामनवमी ओर चैत्र नवरात्र की शुभकामनाए देते हुए कहा कि जिस प्रकार हनुमानजी ने श्री राम के सेवा की, उसी प्रकार नाथ परिवार आपकी सेवा करेगा. नकुलनाथ ने भगवान श्रीराम का पूजन किया. तो वहीं बंटी साहू ने कहा कि 500 साल बाद ऐसी रामनवमी हम मना रहे हैं.
सीएम ने बिना नाम लिए साधा कमलनाथ पर निशाना
सीएम डॉ. मोहन यादव आज चुनाव प्रचार के आखरी दिन चौरई क्षेत्र के ग्राम धनोरा पहुंचे. अपने प्रत्यशी विवेक बंटी साहू के पक्ष में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने बिना नाम लिए कमलनाथ पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा मॉडल का बड़ा उदाहरण देते फिरते हैं. धनोरा गांव में कुछ विकास नहीं हुआ है. क्या ऐसा कोई झूठा आदमी मिलेगा?
उन्होंने कहा कि जनता की समस्या का हल नहीं करोगे और सब मंत्रालय आपके पास था. पावर तो ऐसी थी कि मैं हेलीकॉप्टर किराए से ला रहा हूं, उनके पास तो घर पर हेलीकॉप्टर है. उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि 700 करोड़ रुपये तो एक नंबर में बताया है. फार्म भरने में बताया है ये तो लड़के का है. इनका तो 1,700 करोड़ है. बताओ इनका तो दिमाग काम नहीं कर रहा है. सीएम ने कहा कि गांव वालों को एक-एक हेलीकॉप्टर बांट दो, तो कोई तकलीफ नहीं आएगी.
जिले में बनीं साढ़े छह हजार किमी ग्रामीण सड़क- कमलनाथ
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पांढुर्ना के ग्राम भुयारी, नादंनवाड़ी और मैनीखापा में आयोजित जनसभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि एक दौर वो भी था, जब इन गांवों तक पहुंचने के लिए पक्की सड़कें नहीं हुआ करती थीं. वाहनों की बात तो दूर, पैदल चलना भी मुश्किल होता था. मगर, हमारे जिले में निर्मित हुई साढ़े छह हजार किमी ग्रामीण सड़कों से केवल आवागमन सुगम नहीं हुआ, बल्कि गांवों का संपर्क सीधा जिला मुख्यालय और नगर से हुआ है. इससे आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ी हैं, क्योंकि किसान की उपज सीधे थोक मंडी तक पहुंचने लगी है.
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