MP News: ग्वालियर कलेक्टर ने लाखों छात्रों और पालकों को राहत देने वाले दिशा-निर्देश जारी किए हैं. कलेक्टर ने 10 बिंदुओं में गाइडलाइन जारी करते हुए कहा है कि जिससे स्कूलों में पालक और बच्चों को अनावश्यक परेशान नहीं किया जाएगा, न ही स्कूल किसी तरह का दबाव बना सकेंगे. प्राइवेट स्कूलों पर लगाम कसने के लिए कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने धारा 144 लागू कर दी है. आदेश एक अप्रैल से लागू किया गया है और इसे स्कूलों की नोटिस बोर्ड पर चस्पा करने के निर्देश भी दिए गए हैं. स्कूल अगर कलेक्टर के निर्देश नहीं मानते हैं तो स्कूल के संचालक, प्राचार्य और बोर्ड डायरेक्टर दोषी होंगे. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत केस दर्ज होगा और गिरफ्तारी की जा सकती है.
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कलेक्टर ग्वालियर ने एक वीडियो जारी कर बताया कि उन्हें पता चला है कि प्राइवेट स्कूल संचालक, यूनिफॉर्म और स्टेशनरी आदि के लिए किसी विशेष दुकान से खरीदने के लिए दबाव बना रहे हैं. स्कूल परिसर में प्रचार किया जा रहा है एवं दुकानदारों को पालकों के मोबाइल नंबर दिए जा रहे हैं. यह सब कुछ कमीशन की कमाई करने के लिए किया जा रहा है. स्कूल संचालकों एवं मैनेजमेंट को इसके बदले कमीशन मिलता है. कमीशन के कारण दुकानदार यूनिफार्म और स्टेशनरी के दाम बढ़ा देते हैं.
अक्षय कुमार सिंह कलेक्टर ग्वालियर ने सीआरपीसी की धारा 144 लागू करते हुए एक गाइडलाइन निर्धारित की है. इसका उल्लंघन करने की स्थिति में अथवा किसी भी प्रकार से पेरेंट्स को किसी विशेष दुकान से यूनिफॉर्म अथवा स्टेशनरी खरीदने के लिए दबाव बनाया जाता है तो दबाव बनाने वाले व्यक्ति, स्कूल के कर्मचारी, स्कूल के प्राचार्य, स्कूल के संचालक, स्टेशनरी स्टोर के संचालक, यूनिफॉर्म बेचने वाले दुकानदार अथवा कमीशन एजेंट, जो भी होगा उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा.
ये है प्राइवेट स्कूलों के लिए कलेक्टर की गाइडलाइन
स्कूल दबाव बनाएं तो पालक करें शिकायत
फिर भी स्कूल दबाव बनाते हैं तो पालक स्कूल के खिलाफ कलेक्टर से शिकायत कर सकते हैं. लेकिन पालकों को शिकायत करने से पहले सबूत इकट्ठा करने होंगे. यदि कोई फोन करता है तो उसकी रिकॉर्डिंग करें. यदि कोई स्कूल में प्रचार अथवा विजिटिंग कार्ड देता है तो उसका वीडियो बना लें. यदि स्कूल की तरफ से किसी दुकान का नाम बताया जाता है तो उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग कर लें. कोई अप्रत्यक्ष रूप से इशारा कर रहा है तब भी उसका वीडियो या ऑडियो रिकॉर्ड करें. सबूत के साथ आईपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई करने के लिए कलेक्टर से शिकायत करें.
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