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कलेक्टर के सामने छलका पिता का दर्द, बोला- मेरी बेटी दर्द से तड़पती रही पर किसी डॉक्टर ने नहीं सुनी

राजेश भाटिया

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Betul News: मध्य प्रदेश के बैतूल में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की पोल उस समय खुल गई. जब अपनी 6 साल की बीमार बच्ची को इलाज ना मिलने पर ड्रिप लगी हालत में पिता गोदी में उठा कर कलेक्टर के सामने ले गया. पिता ने कलेक्टर से कहा बोला बेटी तड़प रही है और इलाज करने वाले डॉक्टर कल से अभी तक नहीं आए. कलेक्टर ने तत्काल डॉक्टर को फोन लगाकर बच्ची का अच्छे तरीके से इलाज करने के निर्देश दिए.

बैतूल जिला अस्पताल की हालत कितनी बदतर है. यह इस तस्वीर में साफ देखी जा सकती है. गुरुवार को बीमार बेटी जिसके हाथ मे ड्रिप लगी हुई हैं, और मजबूर पिता गोदी में उठा कर बैतूल कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस के चेंबर में लेकर पहुंचा. बीमार बेटी गोद में थी और पीछे एक बच्चा बॉटल पकड़े हुए था और मां बाजू में थी.

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बच्ची को पेट में दर्द के बाद कराया गया था भर्ती
दरअसल बैतूल के आजाद वार्ड में रहने वाले गुफरान फारुकी की 6 साल की बेटी मिफ्ता फारुखी को पेट में दर्द होने पर बुधवार की रात जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बच्ची की जांच की और परिजनों को बताया कि उसे अपेंडिक्स का दर्द है. बच्ची को प्राथमिक उपचार दिया गया. इसके साथ परिजनों को बताया गया कि उसका इलाज जिला अस्पताल के सर्जन डॉ रंजीत राठौर करेंगे.

डॉक्टर बोले- कल आएंगे लेकिन उस वार्ड में देखने नहीं आऊंगा
पिता गुफरान फारूकी का आरोप है, कि कल रात से गुरुवार की दोपहर तक डॉक्टर रंजीत राठौर उनकी बेटी को देखने तक नहीं आए. जिसके बाद उन्होंने डॉ रंजीत राठौर को फोन लगाया तो उन्होंने साफ बोल दिया कि शाम 5 बजे के बाद आएंगे, और जिस वार्ड में बच्ची भर्ती है. वहां नहीं आएंगे बच्ची को दूसरे वार्ड में लेकर आना पड़ेगा.

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परिजनों को कलेक्टर से लगानी पड़ी गुहार
डॉक्टर के जवाब से नाराज परिजन बीमार बच्ची को कलेक्टर अमनबीर सिंह बैस के सामने ले गए. कलेक्टर ने परिजनों को बोला इसकी शिकायत फोन पर भी कर सकते थे. बच्ची को ऐसे लाना ठीक नहीं है. इसके बाद कलेक्टर ने जिला अस्पताल के डॉक्टर को फोन करके बोला इस बच्ची का इलाज अच्छे तरीके से किया जाए. इसके अलावा उन्होंने बच्ची के इलाज की मॉनिटरिंग का कार्य अपने स्टेनो को सौंपा.

कलेक्टर के आदेश के बाद भी नहीं मिला इलाज
इस सब के बावजूद जब बच्ची को फिर से जिला अस्पताल लेकर गए तो लापरवाही का बड़ा आलम देखने को मिला. बच्ची के इलाज की जिम्मेदारी जिस डॉक्टर को सौंपी गई थी. उस डॉक्टर के उल्टे जवाब से परिजन परेशान हो गए और परेशान उन्हें बच्ची को प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.

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