क्या मुख्यमंत्री पद के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने छोड़ी थी कांग्रेस? पढ़ें, सिंधिया का Exclusive इंटरव्यू
सिंधिया ने गुना लोकसभा सीट पर मुकाबले, 2020 में कांग्रेस छोड़ने, मुख्यमंत्री बनने और महाराज से भाईसाहब बनने जैसे तमाम सवालों और आरोपों के बेबाकी से जवाब दिए.

Lok Sabha Election 2024 : ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) गुना लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. सिंधिया का मुकाबला कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह यादव से है. सिंधिया ने चुनाव प्रचार तेज कर दिया है, वे जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं. लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने उनसे खास बातचीत की. इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना लोकसभा सीट पर मुकाबले, 2020 में कांग्रेस छोड़ने, मुख्यमंत्री बनने और महाराज से भाईसाहब बनने जैसे तमाम सवालों और आरोपों के बेबाकी से जवाब दिए. पढ़िए उनसे बातचीत के कुछ खास अंश....
सवाल: गुना संसदीय क्षेत्र की बात करें, तो पिछले 17 से में 12 बार सिंधिया परिवार का कोई न कोई सदस्य रहा है. ये आरोप लगता रहा है कि सिंधिया परिवार हमेशा सत्ता के साथ रहता है?
ज्योतिरादित्य सिंधिया: जिस व्यक्ति ने आपको ये सूचना दी है, शायद उसने अपना शोध ठीक से नहीं किया है. मेरे पूज्य पिताजी जब सांसद थे तो प्रदेश में विपक्ष की सरकार थी. मेरी आजी अम्मा राजमाता जब यहां से सांसद थीं तो केंद्र में विपक्ष की सरकार थी. जब मैं वहां से सांसद बना तो केंद्र में विपक्ष की सरकार थी. प्रदेश में 17 साल बीजेपी की सरकार थी, तो ये आरोप बेबुनियाद हैं.
यह भी पढ़ें...
सवाल: आपने कांग्रेस क्यों छोड़ी? क्या आपको मुख्यमंत्री बनना था?
ज्योतिरादित्य सिंधिया: मैं अतीत में रहना नहीं चाहता, मैं वर्तमान और भविष्य की बात करता हूं. शायद आप मेरे पिताजी को बड़े करीब से जानते होंगे. कुर्सी के प्रति इस परिवार का कभी मोह नहीं रहा है. सिंधिया परिवार का अगर कोई मकसद है तो वह विकास और प्रगति है. राजनीति में ये परिवार रहा है, लेकिन राजनीति को लक्ष्य मानकर नहीं, जनसेवा को लक्ष्य मानकर, राजनीति केवल एक माध्यम है. जैसा मेरा पहला लक्ष्य था कि मैं बिजनेस करूं. वो भी जनसेवा का एक माध्यम है, वो भी विकास का एक माध्यम है. कलियुग के जमाने में राजनीति का अंत हो चुका है, और जनसेवा माध्यम बन चुका है.
"मेरा मुख्यमंत्री बनने या कुर्सी का कभी मोह नहीं रहा है. ये सर्वविदित है, 2018 में जितना भी मेरा योगदान रहा हो, जब मुझे कहा गया कि इन्हें मुख्यमंत्री बना रहे हैं. मैंने एक सेकेंड में कहा बिल्कुल बनाओ आप, मैं तो जाकर घोषणा करूंगा."
सवाल: लोग कह रहे हैं कि महाराज बदले-बदले नजर आ रहे हैं. अब जनता के बीच संपर्क बढ़ गया है. ये बदलाव क्या सोचा समझा है, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में हमें देखने को मिला है?
ज्योतिरादित्य सिंधिया: जिस शब्द का आपने इस्तेमाल किया (महाराज), वो शब्द भी अतीत का शब्द है. मेरा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया है, मैं भारत का नागरिक हूं. मैंने जो जिंदगी में कर पाया हूं मैंने अपनी मेहनत लगन और परिश्रम के साथ किया है. मुझे अपने परिवार के इतिहास पर गर्व है, गौरव है. लेकिन मुझे अपने कर्मों के आधार पर, अपनी रेप्यूटेशन और पैठ खुद बनानी होगी, जिस तरह मेरे पिताजी और आजी अम्मा ने बनाई.
सवाल: दिग्विजय सिंह ने कहा कि पहले वो महाराजा थे और बीजेपी में जाकर भाईसाहब हो गए
ज्योतिरादित्य सिंधिया: मैं आप से पूछना चाहता हूं कि आप किसी के भाई बनना चाहते हैं या महाराज बनना चाहते हैं. मैं तो सबका भाई बनना चाहता हूं, सबका बेटा बनना चाहता हूं. इससे बड़ी उपाधि नहीं हो सकती जिंदगी में. कोई आपको भाई कहे, कोई आपको बेटा कहे. कोई अम्मा आपके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद प्रदान करे.
सवाल: इस बार भी आपका नाम चला था कि आप मुख्यमंत्री बनेंगे?
ज्योतिरादित्य सिंधिया: मैंने तो चुनाव के पहले, आचार संहिता के पहले ही कह दिया था कि मैं इस रेस में नहीं हूं. मैं इस रेस में जरूर हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनना चाहिए. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में वो सफर जारी रहना चाहिए. एक कार्यकर्ता के रूप में मैं जी जान से लग गया था, लेकिन मैंने कैंपेन के पहले दिन से ही कह दिया था कि मुझे इस रेस से दूर रखिए.