कमलनाथ के इस विधायक ने छोड़ दिया कांग्रेस का "हाथ", सीएम मोहन यादव ने बीजेपी में शामिल करा दिया

पवन शर्मा

29 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 29 2024 6:59 PM)

लोकसभा चुनाव से पहले ही कमलनाथ को बीजेपी ने उनके ही गढ़ छिन्दवाड़ा में एक जोरदार झटका दिया है. उनके सबसे करीबी विधायक को बीजेपी में शामिल करा दिया गया है.

Chhindwara Lok Sabha Seat

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Chhindwara Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव से पहले ही कमलनाथ को बीजेपी ने उनके ही गढ़ छिन्दवाड़ा में एक जोरदार झटका दिया है. छिन्दवाड़ा जिले के अमरवाडा विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजा कमलेश शाह ने काँग्रेस की सदस्यता ओर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है. भोपाल में सीएम मोहन यादव एवं बीड़ी शर्मा के समक्ष बीजेपी ज्वाइन कर लिया है. साथ में उनकी पत्नी माधवी शाह पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य केशर नेताम ने भी  भाजपा ज्वॉइन कर ली है.

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विधायक राजा कमलेश शाह कमलनाथ के सबसे करीबी विधायकों में से एक थे. कमलनाथ की वजह से उनको टिकट भी मिला और जीत भी कमलनाथ की वजह से ही मिली थी. ऐसे में कमलनाथ के सबसे करीबी रणनीतिकार को तोड़कर बीजेपी ने कांग्रेस पर मानसिक बढ़त बना ली है.

छिंदवाड़ा लोकसभा सीट, वह लोकसभा सीट है, जिसे बीजेपी कई दशकों से नहीं जीत पाई है. छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को जीतने का सपना बीजेपी का बहुत पुराना है. पिछले लोकसभा चुनाव में जब पीएम मोदी की लहर में कई कमजोर उम्मीदवार भी चुनाव जीत गए थे, ऐसी आंधी में भी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ को जीत दिला पाने में सफल रहे थे. जाहिर है कि इस बार बीजेपी इस सीट को जीतने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. कांंग्रेस के नेताओं को तोड़कर बीजेपी के पाले में लाने की यह कोशिश इसी रणनीति का हिस्सा है.

इस कांग्रेस प्रवक्ता ने भावुक पत्र लिखकर दे दिया इस्तीफा

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सिद्धार्थ सिंह राजावत ने भी कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति से तंग आकर अपना इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा एक भावुक पत्र को लिखकर दिया है. सिद्धार्थ राजावत ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि वे 1984 से कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं. 1988-89 में मैं एनएसयूआई से राजनीतिक सफर चालू किया और कई आंदोलन में भाग दिया. ग्वालियर से दिल्ली तक पदयात्रा करके प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी को ज्ञापन दिया, यूथ कांग्रेस में कई राष्ट्रीय अध्यक्षों के साथ कार्य किया. कांग्रेस पार्टी में रहते हुए वफादारी निभाते हुए सिंधिया राजघराने से डायरेक्ट लड़ाई लड़ी. लक्ष्मीबाई की समाधि को शुद्ध करवाया. प्रियंका गांधी के ग्वालियर आगमन पर गद्दार सिंधिया के पोस्टर रेडिंग लगाकर गद्दारों को सबक सिखाने की कोशिश की.

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