धार: ज्ञानवापी की तरह ASI ने शुरू किया भोजशाला में सर्वे का काम, मुस्लिम पक्ष पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

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The Madhya Pradesh High Court permitted an Archaeological Survey of India (ASI) at Bhojshala Temple
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Dhar Bhojshala Survey: मध्य प्रदेश के धार में आर्किलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के अधिकारी भोजशाला का सर्वे करने पहुंच गए हैं. एमपी हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के फैसले के बाद ASI ने सर्वे का ये काम शुरू किया है. हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते ही आदेश दिया था कि भोजशाला का एएसआई सर्वे करें. हाई कोर्ट के इस आदेश को मुस्लिम पक्ष के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.  

आपको दें कि कर्मचारी वहां पहुंच चुके हैं और वो एएसआई के जांच अधिकारियों के साथ वो काम करेंगे. उस जगह की तलाशी भी लेंगे.  बता दें कि सर्वे के लिए हाई ने कार्बन डेटिंग सहित नवीनतम तकनीक का उपयोग करने का निर्देश दिया है. एएसआई अधिकारियों की पांच सदस्यीय टीम को 6 हफ्तों में सर्वे की रिपोर्ट देनी है.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

ASI की टीम तकनीकी उपकरणों के साथ अंदर गई है. इस सर्वे को लेकर परिसर के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है और गेट पर मेटल डिटेक्टर लगाया गया है. इस टीम में दिल्ली और भोपाल से ASI के विशेषज्ञ शामिल हैं. आज रमज़ान के जुम्मे की भी नमाज होनी है इस वजह से सुरक्षा बड़ी प्राथमिकता है. हिंदू संगठनों के मुताबिक, धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है, जिसे सन 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए बनवाया था. लेकिन बाद में मुगल आक्रांताओं ने उसे तोड़ दिया था.  

29 अप्रैल को देनी होगी पहली रिपोर्ट

भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन दिया गया था जिस पर सुनवाई  करते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने एएसआई को भोजशाला के अंदर जाकर सर्वे करने के लिए कहा था. कोर्ट ने एएसआई को 29 अप्रैल तक अपनी पहली रिपोर्ट देने का का आदेश दिया है. इस सर्वे को लेकर भारी पुलिस सुरक्षा की व्यवस्था भी की गई है. 

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अब बात अगर भोजशाला के इतिहास की करें तो करीब हजार साल पहले धार में परमार वंश का शासन था. 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने यहां शासन किया. राजा भोज सरस्वती देवी के अनन्य भक्त थे. उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में 'भोजशाला' के नाम से जाना जाने लगा. इसे हिंदू सरस्वती मंदिर भी मानते थे.   

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मुस्लिम पक्ष के लोग

भोजशाला पर विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है. मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की है और हाई कोर्ट द्वारा ASI को सर्वे के लिए दिए गए आदेश पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई है. मुस्लिम पक्ष शुक्रवार को ही याचिका पर सुनवाई का आग्रह भी करेगा. 

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हिंदू पक्ष का क्या है दावा

दावा किया जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला को ध्वस्त कर दिया. बाद में 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी. 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी. 1875 में यहां पर खुदाई की गई थी. इस खुदाई में सरस्वती देवी की एक प्रतिमा निकली थी जिसे मेजर किनकेड नाम का अंग्रेज लंदन लेकर चला गया था. 

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