मध्यप्रदेश के इस शहर में आज भी निभाई जाती है होली के दिन अनोखी परंपरा, यहां अंगारों पर आराम से चलते हैं लोग
ADVERTISEMENT
Holi News: होली को लेकर पूरे देश में उत्साह है. लेकिन इस दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में कुछ पुरानी परंपराओं को भी निभाने का रिवाज रहा है. ऐसी ही एक परंपरा देखने को मिलती है मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में जहां पर लोग बड़े ही आराम से अंगारों पर चलने के रिवाज को निभाते आ रहे हैं. आखिर ये परंपरा है क्या और इसे निभाया कैसे जाता है आईए, जानते हैं इसके बारे में विस्तार से.
रायसेन जिले के सिलवानी के दो गांवों में एवं बेगमगंज के एक गांव में अनोखे तरह से होली मनाई जाती है. यह परंपरा ग्राम चंद्रपुरा में 15 वर्ष से चली आ रही है. वहीं ग्राम महगमा में पांच सौ साल पुरानी परंपरा आज के आधुनिक युग में भी जारी हैं. वहीं बेगमगंज के ग्राम सेमरा में भी 150 वर्षो से होली के दहकते अंगारो में से होकर ग्रामीण गुजरते हैं.
होली का त्योहार मान्यताओं और परंपराओं का समागम है. देश के अलग-अलग हिस्सों में होली हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है. कहीं फूलों से होली खेली जाती है, तो कहीं पर लोग एक दूसरे पर लट्ठ बरसातें हुए होली खेलते हैं. लेकिन आपने ऐसा कम ही सुना होगा, जहां पर लोग आग के जलते अंगारों पर चलकर होली खेलते हों. इस पर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है. लेकिन सिलवानी तहसील के दो गांवो में होली के दिन अंगारों पर चलने की परंपरा है.
बीमारियों से बचने निभाई जाती है ऐसी परंपरा
अंधविश्वास कहें या आस्था, लोगो का मानना है कि अंगारों पर चलने की वजह से ग्रामीण आपदा और बीमारियों से दूर रहते हैं.
सिलवानी और बेगमगंज में आस्था व श्रद्धा के चलते ग्रामीण धधकते हुए अंगारों के बीच से नंगे पैर निकलते हैं. ग्रामीणो की आस्था का आलम यह है कि नाबालिग बच्चों से लेकर महिलाएं उम्र दराज बुजुर्ग तक अंगारों पर नंगे पैर निकलते हैं.
ADVERTISEMENT
यह भी पढ़ें...
लेकिन जलते हुए होलिका दहन के अंगारों पर निकलने के बाद भी बच्चों और महिलाओं से लेकर बुजुर्ग तक के पैर आग पर चलने के बाद भी किसी भी ग्रामीणों के पैर नहीं जलते और ना ही किसी भी गांव के व्यक्ति को कोई भी परेशानी नहीं होती है. सभी ग्रामीण बारी-बारी से आग पर से निकलते हैं.
ADVERTISEMENT