पद्मश्री बाबूलाल ने घर के दो कमरों को बनाया पारंपरिक कृषि यंत्रों का म्यूजियम
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MP News: सतना के पद्मश्री बाबूलाल दहिया ने विलुप्त होते पारंपरिक भारतीय कृषि यंत्रों की पहचान बनाए रखने के लिए अब एक म्यूजियम बनाया है. यह म्यूजियम उन्होंने अपने गांव के घर में दो कमरों में बना दिया है, जिसमें कई तरह के पुराने और पारंपरिक खेती में इस्तेमाल होने वाले कृषि यंत्र रखे गए हैं. बाबूलाल दहिया ने बताया कि यह म्यूजियम पूरी तरह से आम लोगों के लिए बनाया गया है, जो पूरी तरह से निशुल्क है.
देसी मोटे अनाज (मिलेट्स) के संरक्षण-संवर्धन और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के क्षेत्र में सतना के बाबूलाल दहिया को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. अब वे अपने अनोखे म्यूजियम को लेकर चर्चा में हैं. यह म्यूजियम उनके गांव पिथौराबाद स्थित घर में बनाया गया है. उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की पहल पर संयुक्त राष्ट्र इस साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेट्स ईयर के रुप में मना रहा है। इसी क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए बाबूलाल दहिया सम्मानित भी हो चुके हैं.
राजस्थान और ग्वालियर के किलों में स्थापित म्यूजियम से मिली प्रेरणा
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बाबूलाल दहिया बताते हैं कि उन्हें अपने घर में म्यूजियम बनाने की प्रेरणा राजस्थान और ग्वालियर के किलों में स्थापित संग्रहालयों को देखकर मिली. वे कहते हैं कि यदि राजा महाराजाओं के अस्त्र-शस्त्रों को म्यूजियम में रखकर अतीत की स्मृतियों को संजोया जा सकता है तो कृषि प्रधान देश के जमीनी योद्धा और अन्नदाता किसानों के उपकरणों का संरक्षण भी होना चाहिए. म्यूजियम में लौह, काष्ठ, मृदा, प्रस्तर, बांस, चर्म और धातु के बने 200 से अधिक कृषि यंत्र रखे गए हैं.
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