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12 साल की उम्र में पिता ने छोड़ा; अब किन्नर समुदाय के लिए मिसाल बन गई रानी

एमपी तक

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MP News: पहली नजर में देखकर किसी को भी यह भ्रम हो जाए कि यह युवती कोई मॉडल है. लेकिन रानी दमाहे नाम की ये ट्रांसजेंडर एक किन्नर है. रानी आज किन्नरों के लिए मिसाल बनी हुई हैं. जहां एक वक्त के बाद किन्नर भीख मांगने को मजबूर हो जाते हैं तो वहीं रानी बीएससी की पढ़ाई कर कलेक्टर से नौकरी की गुहार लगा रही हैं. वे पूरे किन्नर समुदाय के लिए मिसाल बनी हुई हैं.

रानी को किन्नर समाज साइना और परिवार रानी के नाम से जानता है. 12 साल की उम्र तक वह लड़के का जीवन जीती थी. परिवार को ट्रांसजेंडर होने का पता चला, पिता ने समाज के डर से छोड़ दिया. लेकिन उसने परिवार और समाज के उलाहना के बाद भी हिम्मत नहीं हारी. इसके बाद राजा नाम का लड़का रानी की जिंदगी जीने लगा. पढ़ाई-लिखाई में खूब मेहनत की. 12वीं में एक विषय में डिस्टिंक्शन पाने के बाद, बीएससी की पढ़ाई शुरू की. और अब नौकरी करने की इच्छा कर रही है.

भीख नहीं, नौकरी करना चाहती है
रानी भीख मांगते नहीं खाना चाहती थी, उसकी भी इच्छा आम लोगों की तरह नौकरी करके जीने की है और अपनी इसी बात को लेकर रानी ने बालाघाट के कलेक्टर से मिलकर नौकरी देने की गुहार लगाई. रानी सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि अपने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए भी आगे आई हैं. उनका मानना है कि सरकारी योजनाएं अगर किन्नर समुदाय को भी मिलती हैं, तो किन्नर भी समाज की मुख्यधारा से आम लोगों से जुड़ सकते हैं.

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कलेक्टर से की नौकरी की अपील
रानी ने बताया कि हम भी समाज में बाकी लोगों की तरह सर उठा कर जीना चाहते हैं. उसका कहना है कि उसने 12वीं पास की है. सरकार को लगता है कि अगर मेल और फीमेल के लिए अधिकार हैं तो हम थर्ड जेंडर के लिए भी अधिकार होने चाहिए. रानी ने कहा कि ‘मैंने कलेक्टर साहब से मिलकर यही अपील की है कि हमें भी भीख मांगकर नहीं खाना है.’
रानी किन्नर समुदाय के साथ नहीं रहती बल्कि परिवार में अपनी मां के साथ रहती हैं. रानी के बचपन के बारे में बताते हुए मां की आंख में आंसू आ जाते हैं. रानी की मां कहती हैं कि जब बेटी के किन्नर होने का पता चला तो सबने उसे छोड़ दिया, लेकिन मैंने अपनी बेटी को नहीं छोड़ा. अब बाकी लोगों ने भी उसे अपना लिया है.

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