एकात्म धाम में लगेंगे 2100 करोड़, शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का PM मोदी करेंगे उद्घाटन
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MP News: ओंकारेश्वर में एकात्म धाम बनाने का काम तेजी से चल रहा है. सीएम शिवराज खुद इसका निरीक्षण करने के लिए पहुंचे. जगतगुरु शंकराचार्य की दीक्षा स्थली ओंकारेश्वर को 2100 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है. जिस तरह से उज्जैन में महाकाल लोक की स्थापना की गई है, उसी तर्ज पर ओंकारेश्वर में शंकराचार्य का एकात्म धाम विकसित किया जा रहा है. ओंकारेश्वर में श्रद्धालु शंकराचार्य के जीवन चरित्र और उनके कृतित्व के बारे में समझ सकेंगे.
एकात्म धाम विकसित करने का कार्य तेजी से चल रहा है. सीएम शिवराज ने प्रतिमा की स्थापना का कार्य अगस्त महीने तक पूरा करने के निर्देश दिए हैं. योजना के मुताबिक इसका लोकार्पण सितंबर महीने में में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया जाएगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसका निरीक्षण करने तीन दिन के दौरे पर ओंकारेश्वर पहुंचे हैं. उनके साथ प्रसिद्ध कवि मनोज मुंतशिर भी मौजूद थे. सीएम ने यहां रहकर ओंकारेश्वर तीर्थस्थली की समस्याओं को भी करीब से देखा और उसके निराकरण के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं.
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ओम्कारेश्वर में आकार ले रहा “एकात्म धाम”
‘अद्वैत’ का भाव ही शांतिपूर्ण और सुखमय संसार का आधार है। pic.twitter.com/exwDegFbS7
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) May 7, 2023
ओंकारेश्वर में बन रही 108 फीट ऊंची प्रतिमा
जगतगुरू शंकराचार्य को कौन नहीं जानता है. ओंकारेश्वर शंकराचार्य जी की दीक्षा स्थली है, जहां वे मात्र 11 वर्ष की आयु में पहुंचे थे. इसीलिए यहां शंकराचार्य के बाल स्वरूप की मूर्ति स्थापित कर एकात्म धाम बनाया जा रहा है. शंकराचार्य की यह मूर्ति 108 फीट ऊंची होगी, जिसके लिए ओंकार पर्वत पर 52 फीट ऊंचा आधार तैयार किया जा रहा है. इसे बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है.
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ऐसे होंगे गुरूकुल
शंकराचार्य की मूर्ति के साथ ही नर्मदा किनारे ओंकारेश्वर पर्वत पर 28 एकड़ क्षेत्र में अद्वैत वेदांत पीठ की स्थापना होगी. यहां आध्यात्मिक शिक्षा के लिए गुरुकुल बनाए जायेंगे. इन गुरुकुलो में देश के चारों कोनों के मन्दिरों के निर्माण की स्थापत्य शैली नजर आएगी. इस परियोजना का सूचना केन्द्र का निर्माण मुरैना के मितावली के चौंसठ योगिनी मन्दिर की तर्ज पर होगा. वेदांत संस्थान में ओपन एयर थिएटर भी बनाया जायेगा. वहीं गुरुकुल को प्राचीन स्वदेशी शैली में बनाया जायेगा.
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अद्वैत वेदांत पर विमर्श
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए विद्वंजनों से विमर्श किया. ऋषिकेश से स्वामी चिदानंद सरस्वती, अमृतसर से आनंदमूर्ति गुरु मां, हरिद्वार से डॉ. चिन्मय पंड्या और गुजरात से कमलेश देसाई दाजी विशेष तौर पर उपस्थित थे. इस कार्यक्रम के सूत्रधार देश के ख्यात गीतकार एवं कवि मनोज मुंतशिर थे. स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि शंकराचार्य जी ने अपनी पीड़ा को ही अपनी प्रेरणा बनाया. सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की. कमलेश दाज़ी ने कहा कि इस एकात्म धाम से प्रकृति और मानव के बीच संबंध स्थापित होगा.
भेदभाव खत्म होना चाहिए
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि सांस्कृतिक जागरण भी सरकार का ही कार्य है. वे बचपन से जगतगुरु शंकराचार्य के एकात्मवाद से प्रभावित रहे. वे किसी भी तरह के भेदभाव के खिलाफ नहीं रहे. बचपन में स्वयं उन्होंने अपने ही परिवार में महसूस किया कि उनकी बहन की अपेक्षा में उन्हें ज्यादा प्यार किया जाता था. तभी उन्हें लगता था कि यह भेदभाव खत्म होना चाहिए. इसका माध्यम यही एकात्मवाद ही है और इसी को समझाने के लिए एकात्म धाम विकसित किया जा रहा है.
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