कान्हा टाइगर रिजर्व में बर्ड सर्वे; पक्षियों की 290 प्रजातियों की पुष्टि, कुछ विलुप्त स्पीशीज…

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Bird Survey in Kanha Tiger Reserve 290 species of birds seen extinct species also found
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Kanha Tiger Reserve: मंडला जिले के कान्हा टाइगर रिजर्व में बर्ड सर्वे हुआ है. यह बर्ड सर्वे पक्षियों की संख्या जानने के लिए किया गया. इसमें यह भी पता लगाने की कोशिश की गई कि कितनी स्पीशीज टाइगर रिजर्व में पाई जाती हैं. विभिन्न प्रदेशों से आए 72 प्रतिभागियों ने 36 जगहों पर सुबह से शाम तक बर्ड वाचिंग की और उन्हें देखा, फोटोग्राफी करने के साथ ही आवाज रिकॉर्ड की गई. पार्क प्रबंधन की माने तो सर्वे के दौरान पक्षियों की करीब 290 प्रजातियां देखी गई हैं. साथ ही कुछ ऐसी भी प्रजातियां मिली हैं, जो लंबे समय से विलुप्त थीं.

पक्षियों के लिहाज से कान्हा काफी अनुकूल है. यहां साल वन, मिश्रित वन और बड़े मैदान भी हैं, इसलिए यहां कई तरह की प्रजातियां पाई जाती हैं. इस सर्वे में 5 से 6 ऐसी स्पीशीज को भी देखा गया है, जो पिछले 3-4 साल में नहीं देखी गई थी. सर्वे की विस्तृत रिपोर्ट अगले 15 – 20 दिनों में जारी होगी

कान्हा टाइगर रिजर्व फील्ड डायरेक्टर एसके सिंह ने बताया- कान्हा टाइगर रिजर्व में हम पिछले 3 सालों से बर्ड सर्वे कर रहे हैं. इसका उद्देश्य है कि कान्हा में जो पक्षी पाए जाते हैं. उनकी संख्या क्या है और कितनी स्पीशीज पाई जाती हैं? उसका आकलन किया जा रहा है.

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36 जगहों पर सुबह से शाम तक बर्ड वॉच किया गया
कान्हा टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा वाइल्ड लाइफ एंड नेचर कंजर्वेशी सोसाइटी इंदौर के सहयोग से इसको आयोजित किया गया. इस साल 25 और 26 फरवरी को यह बर्ड सर्वे आयोजित किया गया था. इसमें देश के विभिन्न प्रदेशों से 72 प्रतिभागियों ने भाग लिया. उनके द्वारा 36 जगहों पर सुबह से शाम तक जितने भी पक्षी देखे जा सकते थे, इनकी फोटोग्राफी की जा सकती थी या आवाज रिकॉर्ड की जा सकती, वह किया गया है.

कान्हा में 290 के करीब प्रजातियां दिखाई दीं
प्रारंभिक रूप से कान्हा टाइगर रिज़र्व में 290 के करीब प्रजातियां देखी गई है. इसमें से जिनके सबूत होंगे उन्हें ही सर्वे में शामिल किया जायेगा. उम्मीद है कि अगले 15-20 दिनों में विस्तृत जानकारी मिल जाएगी. कान्हा में पक्षियों की बहुत ज्यादा वैरायटी होती है, क्योंकि कान्हा का वन क्षेत्र है. उसमें साल वन भी है. मिश्रित वन भी है और बड़ा 10 हज़ार हेक्टयेर घास के बड़े मैदान भी हैं. इसलिए प्रजातियां अलग-अलग होती हैं. यहां का लैंडस्केप काफी बड़ा है, जिसमें मंडला, बालाघाट और छत्तीसगढ़ का हिस्सा है. इस सर्वे में उम्मीद है कि 5 से 6 ऐसी स्पीशीज देखी गई है. पिछले 3-4 साल में नहीं देखी गई थीं.

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