रिटायर्ड ASI पिता की मौत पर 9 बेटियों ने किया वो काम, जिसे देख नम हो गईं लोगों की आंखें

हिमांशु शिवा

27 Feb 2024 (अपडेटेड: Feb 27 2024 10:50 AM)

Sagar News: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में पिता की मौत के बाद उनकी 9 बेटियों ने वो काम कर दिखाया, जो लोगों के लिए मिसाल बन गया. जिसने भी देखा सुना, उनकी आंखों से आंसू निकल आए, वह बेटियों को शाबाशी दे रहे हैं.

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Sagar News: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में पिता की मौत के बाद उनकी 9 बेटियों ने वो काम कर दिखाया, जो लोगों के लिए मिसाल बन गया. जिसने भी सुना देखा, वह बेटियों को शाबाशी दे रहा है. दरअसल, बटालियन के रिटायर्ड एएसआई पिता का ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया, उनके बेटा नहीं था तो उनकी 9 बेटियों ने बेटे का धर्म निभाते हुए पिता का अंतिम संस्कार पूरे रीति-रिवाज के साथ करना तय किया. बता दें कि बुंदेलखंड में महिलाओं का श्मशान में जाना वर्जित माना जाता है, रिटायर्ड एएसआई सागर जिले के मकरोनिया के रहने वाले हैं.

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पिता के निधन पर 9 बेटियों ने बेटे का फर्ज निभाते हुए मुखाग्नि थी, जिसे देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं. इन बेटियों ने न सिर्फ मुखाग्नि दी, बल्कि बेटों की तरह ही अर्थी को कंधा दिया. आरती के साथ चली और शमशान घाट पहुंचकर पिता की मुक्ति के लिए हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराया, कुछ लोग इस दृश्य को देखकर फफक-फफक कर रो पड़े.

Sagar News: मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में पिता की मौत के बाद उनकी 9 बेटियों ने वो काम कर दिखाया, जो लोगों के लिए मिसाल बन गया. फोटो- एमपी तक

दो बेटियों की होनी है शादी

यह नजारा उपनगरीय क्षेत्र मकरोनिया के मुक्तिधाम में देखने को मिला, जहां एएसआई हरिश्चंद्र अहिरवार का ब्रेन हेमरेज के कारण निधन हो गया. हरिश्चंद्र की 9 बेटियां थी, उन्होंने बेटों की तरह ही अपनी बच्चियों की परवरिश की. अब उन्हीं बेटियों ने बेटों का फर्ज निभाया. हरिश्चंद्र वार्ड क्रमांक 17 के 10वीं बटालियन क्षेत्र निवासी थे. बेटियों ने अपने पिता को हिंदू रीति रिवाज के अनुसार कंधा दिया और अन्य क्रियाएं कराईं. इस दौरान समाज के लोगों ने गर्व से कहा कि पुत्र ही सब कुछ नहीं होते. उनकी 7 बेटियों की शादी हो गई. पुत्री रोशनी व गुड़िया अविवाहित हैं.

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बेटियों का ‘संसार’ थे पिता

बेटी वंदना ने बताया कि उनके पिता को अपनी बेटियों से काफी लगाव था. हमारा कोई भाई नहीं है, इस कारण उनके साथ सभी छोटी-बड़ी बहनों जिनमें अनिता, तारा, जयश्री, कल्पनना, रिंकी, गुड़िया, रोशनी, दुर्गा ने एक साथ बेटी होने का फर्ज निभाने का फैसला किया था. उनके पिता ही उनका संसार थे. बता दे कि बुंदेलखंड में बेटियों महिलाओं का श्यशान घाट जाना वर्जित रहता है, लेकिन अब लोग समाज के बंदों को तोड़कर आगे आ रहे हैं. इस तरह से बेटियों के द्वारा पिता को मुखाग्नि देना दूसरे लोगों के लिए भी प्रेरणा बन गया.

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