पहाड़ी पर विराजमान सिद्धपीठ मां जालपा देवी को क्यों कहा जाता है “राजनेताओं” की देवी? जानें

पंकज शर्मा

23 Mar 2023 (अपडेटेड: Mar 23 2023 3:19 AM)

Rajgarh news:  शारदीय नवरात्रि में देवी की आराधना की जाती है. ऐसे में शक्ति और सिद्ध पीठ पर देवी भक्तों का तांता लगा हुआ है. राजगढ़ शहर से 7 किमी दूर पहाड़ी पर विराजमान सिद्धपीठ मां जालपा देवी के दर्शन पूजा अर्चना करने के लिए सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे […]

Why is Siddhapeeth Maa Jalpa Devi sitting on the hill called the goddess of "politicians"? learn

Why is Siddhapeeth Maa Jalpa Devi sitting on the hill called the goddess of "politicians"? learn

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Rajgarh news:  शारदीय नवरात्रि में देवी की आराधना की जाती है. ऐसे में शक्ति और सिद्ध पीठ पर देवी भक्तों का तांता लगा हुआ है. राजगढ़ शहर से 7 किमी दूर पहाड़ी पर विराजमान सिद्धपीठ मां जालपा देवी के दर्शन पूजा अर्चना करने के लिए सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. भक्तों का मानना है कि सच्चे मन एवं भाव से मांगी गई जो भी मन की मुरादे वह मां जालपा जरूर पूरा करती है.जानकारी के अनुसार ऐसी मान्यता है कि मां जालपा के दरबार में उल्टा स्वास्तिक अपनी मन्नत पूरी करने के लिए बनाते हैं. जब मन्नत पूरी हो जाती है तो उसी स्वास्तिक को सीधा कर बना देते हैं. इसके कई मन्नत पूरी होने पर चांदी का स्वास्तिक मां के चरणों में अर्पित करते हैं.

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इस मंदिर से लोगों की इस तरह की आस्था जुड़ चुकी हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हो या पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उमा भारती इस मंदिर से लगातार जुड़े हुए हैं, और हर साल वह यहां किसी ना किसी अवसर पर दर्शन करने के लिए पहुंचते रहते हैं. वहीं जिले की कमान संभालने वाले कोई भी कलेक्टर हो या एसपी राजगढ़ जिले में आने के साथ ही सबसे पहले मां जालपा का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं.

कभी एक पेड़ के नीचे स्थापित थी मां की मूर्ती
पहले मां पीपल के पेड़ के नीचे कच्चे चबूतरे पर विराजमान थी. लेकिन समय के साथ-साथ परिवर्तन आता गया और आज एक भव्य मंदिर यहां पर बना हुआ है. जिसमें तमाम तरह की सुविधाएं भी हैं. यही कारण है कि ना सिर्फ राजगढ़ जिले में बल्कि आसपास के कई जिलों में इस मंदिर से श्रद्धालुओं की आस्था बढ़ती जा रही है. मंदिर पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि ग्यारह सौ वर्ष पुराना मां जालपा का मंदिर है. हमारे कुल के ज्वाला नाथ जी ने 11 सौ वर्ष पहले तपस्या कर मां को प्रसन्न किया था. मां यहां स्वयं प्रकट हुई. इसीलिए मूर्ति स्वयंभू है. 1995 में श्रद्धालुओं व राजगढ़ विकास ट्रस्ट द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया.

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नेताओं और अधिकारियों की देवी
यहां पर श्रद्धालु देश के हर कोने से आते हैं. साल भर यहां पर नेताओं का तातां लगा रहता है. पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती कमलनाथ दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया विधायक लक्ष्मण सिंह प्रियव्रत सिंह बापू सिंह तंवर यशोधरा राजे सिंधिया अन्य नेता मंत्री व राजगढ़ में कोई बड़ा अधिकारी भी आता है तो सबसे पहले मांता के दरबार में मत्था टेकता हैं. मां सबकी मन की मुराद पूरी करती है. जिसकी भी मनोकामना होती है व उल्टा स्वास्तिक बनाता है मनोकामना पूरी होने पर फिर आकर सीधा स्वास्तिक बनाता है. जिसकी शादी नहीं होती है, मां के दरबार से पाती उठती है उसके लगन लिखाते हैं

पांती रखने के साथ होते हैं विवाह
इलाके में ऐसी मान्यता है कि जब किसी के शादी-विवाह के लिए मुहूर्त नहीं निकलता तो वह जालपा मंदिर आते यहां पर पुजारी से मुहूर्त निकलवाते हैं. यहां की पांती बिना किसी मुहूर्त का शुभ मुहूर्त माना जाता है. साल भर में ऐसे सैंकड़ो पांती यहां से जारी होती है. और हजारों जोड़ी मां के दरबार में बनती है. शादी करने के बाद जरूर दोनों पक्षों के लोग दूल्हा-दुल्हन सहित यहां मातारानी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इनके अलावा भी जिलेभर से शादियों के दौरान यहां दर्शन करने वालों की भी़ड लगी रहती है.

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