Madhya Pradesh News: आमतौर पर कई गांवों और जिलों को मिलाकर एक सांसद बनता है, लेकिन मध्य प्रदेश में एक ऐसा अनोखा गांव है, जिसके 2-2 सांसद और 2-2 विधायक हैं. इतना ही नहीं इस गांव के चार तहसीलदार और दो एसडीएम हैं. 1600 लोगों की आबादी वाले इस गांव की सीमा ऐसी बंटी हुई है कि बच्चे रहते अलग तहसील क्षेत्र में हैं और पढ़ने दूसरी तहसील में जाते हैं. लोग अपने घर में अलग तहसील में रहते हैं, लेकिन जब वो खेत जाते हैं तो वो दूसरी तहसील होती है. यह अनोखा गांव आगर मालवा जिले में स्थित आमला गांव है.
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आमला गांव मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित है. इस गांव की अजब ही कहानी है. इस गांव का कुछ हिस्सा आगर तहसील में, कुछ सुसनेर, कुछ नलखेड़ा और कुछ बड़ोद तहसील में है. यही नहीं गांव की गलियां भी अलग-अलग तहसीलों का प्रतिनिधित्व करती हैं. एक ही गांव में रहने के बाद भी दो भाई अलग-अलग तहसीलों में रहते हैं. उनके विधायक और सांसद भी अलग हैं तो उनके राशन कार्ड और वोटर आईडी भी अलग.
पंचायतें भी अलग-अलग
आमला गांव में दो विधानसभा क्षेत्र लगते हैं. यही नहीं यह गांव दो संसदीय क्षेत्रों देवास-शाजापुर और राजगढ़ के अंतर्गत भी आता है. यहां के लोग दो विधायक और दो सांसद चुनते हैं. ग्राम पंचायत स्तर पर भी इस गांव में बड़ा झोल है. इस गांव के आधे लोग दूसरी पंचायत में आते हैं तो आधे दूसरी पंचायत में आते हैं. एक हिस्सा ग्राम पंचायत आमला है तो वहीं दूसरा हिस्सा आमला से चार किलोमीटर दूस सेमलखेड़ी से जुड़ा हुआ है.
ग्रामीणों के लिए परेशानी की वजह है गांव
इस गांव की जो विशेषता है, इसकी वजह से सुर्खियों में तो रहता है, लेकिन उसकी खासियत ही उसकी सबसे बडी परेशानी भी बनती जा रही है. आज आमला के नागरिक और किसान शासकीय कार्यालयों में चक्कर लगाते नजर आते हैं. सबसे बडी परेशानी उनके लिए तब होती है जब उनको अपने घर, अपने खेत के लिए अलग-अलग तहसीलों में जाना पड़ता है. वहीं किसी भी शासकीय योजना के लाभ के लिए अलग-अलग सांसद और अलग-अलग विधायकों से गुजारिश करनी होती है.
कौन हैं आमला के 2 सांसद?
इस गांव में राजगढ संसदीय क्षेत्र से रोडमल नागर और देवास-शाजापुर संसदीय क्षेत्र के महेंद्र सोलंकी सांसद हैं. वहीं आगर विधायक मधु गहलोत और सुसनेर विधायक भेरोसिंह बापू यहां के चुने हुए विधायक हैं. इस बार लोकसभा चुनाव में इस छोटे से ग्राम के मतदाता एक फिर से दो सांसदों के लिए मतदान करेंगे. आमला गांव के चार भागों में विभाजित होने की वजह विकास के नाम पर अधिकारियों से लेकर नेताओं द्वारा एक-दूसरे का क्षेत्र बताकर नागरिकों की पीडा को टाल दिया जाता है. इतने जनप्रतिनिधि होने के बाद भी गांव में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है.
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