सतना में 'झोली एंबुलेंस' से प्रसूता को अस्पताल ले जा रहे थे परिजन, रास्ते में हो गई डिलीवरी

वेंकटेश द्विवेदी

21 Mar 2024 (अपडेटेड: Mar 21 2024 10:44 AM)

मध्य प्रदेश में विकास के लिए मोहन सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं सतना में अस्पताल पहुंचाने के लिए परिजनों को 'झोली एंबुलेंस' का सहारा लेना पड़ रहा है.

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MP News: मध्य प्रदेश में एक तरफ जहां सूबे की मोहन सरकार एयर एंबुलेंस सेवा की शुरूआत करती है, तो वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के लोगों को एयर एंबुलेंस तो दूर की बात नॉर्मल एंबुलेंस भी नसीब नहीं हो पा रही है. यही कारण है कि आम जनता अपनी सुविधा अनुसार लोगों को अस्पताल पहुंचा रही हैं. ऐसा ही कुछ मामला सतना जिले की चित्रकूट नगर पंचायत से सामने आया है. जहां सड़क न होने से प्रसूता को अस्पताल पहुंचाने के लिए परिजनों को 'झोली एंबुलेंस' का सहारा लेना पड़ा. ग्रामीणों ने इस घटना का वीडियो भी बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.  

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दरअसल पूरा मामला सतना जिले की चित्रकूट नगर पंचायत के वार्ड नंबर 15 का है. जहां सड़क मौजूद नहीं है, ऊबड़-खाबड़ रास्ता होने के कारण यहां तक कोई वाहन नहीं पहुंच पाता है. यही कारण है कि बीते दिनों संगीता मवासी प्रसव पीड़ा शुरू हुई. परिजनों ने एंबुलेंस के लिए 108 नम्बर को फोन लगाया तो वहां से जवाब मिला कि सड़क न होने से आपके घर तक एंबुलेंस नहीं आ सकती. फिर क्या था परिजनों महिला को झोली में लिटाकर कंधे के सहारे दो किलोमीटर दूर नजदीकी अस्पताल तक पहुंचाया.

 

झोली में ही हो गया प्रसव

प्रसूता को डिलेवरी के लिए कंधे के सहारे ले जाने का समय आया है. जहां प्रसूता संगीता मवासी की डिलेवरी इसी झोली में ही हो गयी है. जिसे परिजन बच्चे को गोद में और प्रसूता को झोली के सहारे नजदीकी चित्रकूट प्राथमिक स्वास्थ केंद्र चित्रकूट लेकर पहुंचे. 

बड़े-बड़े दावे करती है सरकार

मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव की सरकार विकास के लिए बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन दूरस्थ अंचलों में रहने वाले लोग आज भी बेहद खराब स्थिति में जीवन यापन को मजबूर हैं. एक तरफ जहां सीएम मोहन एयर एंबुलेंस की बात करते हैं तो वहीं आम लोगों को चार पहिया एंबुलेंस भी नसीब नहीं हो पा रही है. सब भगवान भरोसे अपने अपने परिजनों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं. 

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