अक्षय कांति बम आखिर कैसे हुए कांग्रेस छोड़ने को मजबूर, जानें, बीजेपी में शामिल होने की पर्दे के पीछे की पूरी कहानी

इंदौर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नाम वापस लेकर बीजेपी में शामिल होने वाले अक्षय कांति बम रविवार को मीडिया के सामने आए. उनके साथ में आए इस पूरे एपिसोड के कर्ता-धर्ता कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय. पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से इन्होंने बताया.

Kailash Vijayvargiya, Akshay Kanti

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Indore Lok Sabha Seat: इंदौर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में नाम वापस लेकर बीजेपी में शामिल होने वाले अक्षय कांति बम रविवार को मीडिया के सामने आए. उनके साथ में आए इस पूरे एपिसोड के कर्ता-धर्ता कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय. पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से इन्होंने बताया. मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि 29 तारीख को अक्षय बम ने नामांकन वापस लेने का विचार किया और मेरे को फोन किया. इस पर मैंने कहा कि नामांकन क्यों ले रहे हो, उन्होंने कांग्रेस की नकारात्मक सोच के कारण नामांकन वापस लेने की बात कही.

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कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि उन्होंने इस पर कहा कि अपने अधिकर्ता को भेजकर उठा लो, लेकिन अक्षय ने कहा कि वे अकेले जा कर ही नामांकन वापस लेंगे. इसके बाद मैंने रमेश मेंदोला जी को साथ भेजा. कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि आज पूरा देश मोदी जी के कार्यों से खुश है और पूरे विश्व में भारत का मान बड़ा है, इसी के चलते लोग भाजपा में शामिल हो रहे हैं.

इसके बाद अक्षय कांति बम ने कहा कि 24 मार्च को जब पहली बार चुनावी मैदान में आया तो कांग्रेस के बहुत कम लोग आए थे. 2600 बूथ पर काम करने के लिए मेरे पास इतनी बड़ी टीम नही थी, पार्टी के कार्यकर्ता काम करते है, लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता नही आए.
24 और 25 अप्रैल को मैं फ्री रहा. 26 अप्रैल को जनसंपर्क निरस्त कर दिया. 27 और 28 अप्रैल को मैने खुद कार्यक्रम किए. 29 अप्रैल को भी मेरा जनसंपर्क निरस्त कर दिया था. 12 दिन बचने पर भी जनसंपर्क नही हो रहा था तो मैं क्या करता.

अक्षय कांति बम मीडियाकर्मियों को बताते हैं कि फॉर्म बी में 4 नंबर कॉलम में मुझे कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाकर चिन्ह दिया था, उसमे 7 नंबर कॉलम में लिखा था यदि मेरा फॉर्म निरस्त न हो तो, इसके बाद लिखा था यदि फॉर्म निरस्त होता है तो मोती सिंह पटेल कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे.
इंदौर 4 नंबर विधानसभा का चुनाव लडने के लिए भी मैने राजा मांधवानी के साथ वैकल्पिक प्रत्याशी बनाने की मांग की थी, लेकिन उन्होंने नही माना.  29 अप्रैल को मैने दोपहर 12 बजे फॉर्म उठाया.

ये मेरी ईमानदारी थी कि हारी हुई सीट पर चुनाव लड़ने को तैयार हुआ- अक्षय कांति बम

अक्षय कांति बम बताते हैं कि फॉर्म उठाने के बाद भी कांग्रेस के पास 3 घंटे थे. वे चाहते तो किसी प्रत्याशी को घोषित कर सकते थे लेकिन उन्होंने नहीं किया. ये तो मेरी ईमानदारी थी कि मैं हारी हुई सीट पर चुनाव लड़ने को तैयार हुआ. 25 दिन पहले ही चुनाव प्रचार सामग्री पहुंचाने के बाद भी पार्टी में किसी ने ध्यान नहीं दिया. इतना बड़ा चुनाव बिना संगठन नहीं लड़ा जा सकता, संगठन मेरे साथ नही था. 3 बार मेरी बात पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी से हुई थी, दिल्ली को भी लिखा मुझे किस किस की सभा चाहिए. जिनकी सभा चाहिए थी वो 25 अप्रैल को 2 घंटे इंदौर एयरपोर्ट पर बैठे थे, लेकिन इंदौर में उन्होंने सभा नही की, जबकि उज्जैन और धार में उन्होंने सभा की. 

बीते 22 साल में सिर्फ एक केस ही हुआ रजिस्टर्ड- अक्षय कांति बम

अक्षय कांति बम बताते हैं कि उनके बीते 22 साल के कैरियर में सिर्फ एक केस ही रजिस्टर्ड हुआ है. यह उनकी ईमानदारी का प्रतीक है. अक्षय ने बताया कि उनके कॉलेज में कोई गड़बड़ नहीं है. अक्षय ने यह भी कहा कि वे खुशनसीब हैं, क्योंकि उनको कैलाश विजयवर्गीय जैसे बीजेपी के दिग्गज नेता ने अपना संरक्षण दिया.

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