एमपी में अंधविश्वास: कुपोषित बच्चियों को गर्म सलाख से दागा, अस्पताल में 1 की मौत, दूसरी नाजुक

रावेंद्र शुक्ला

04 Feb 2023 (अपडेटेड: Feb 4 2023 7:24 AM)

MP News: मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल शहडोल जिले में दगना कुप्रथा ने दो कुपोषित बच्चियों की जन ले ली. कुपोषित बच्चियों को 40-50 बार इलाज के नाम पर गर्म सलाखों से दागा गया. ताजा मामला सिंहपुर के कठौतिया और उसके पड़ोस के गांव सामतपुर का है, जहां अंधविश्वास के फेर में बीमार दुधमुंही 3 […]

Shahdol News 2 malnourished baby girls burnt with a hot rod superstition both died hospital

Shahdol News 2 malnourished baby girls burnt with a hot rod superstition both died hospital

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MP News: मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल शहडोल जिले में दगना कुप्रथा ने दो कुपोषित बच्चियों की जन ले ली. कुपोषित बच्चियों को 40-50 बार इलाज के नाम पर गर्म सलाखों से दागा गया. ताजा मामला सिंहपुर के कठौतिया और उसके पड़ोस के गांव सामतपुर का है, जहां अंधविश्वास के फेर में बीमार दुधमुंही 3 माह की दो बच्चियों को गर्म सलाखों से बार-बार दागा गया, हालत बिगड़ने पर परिजन उसे मेडिकल कॉलेज ले आये, जहां एक बच्ची की उपचार के दौरान मौत हो गई. वहीं दूसरी की हालत नाजुक बनी हुई है.

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हालांकि बालिका की मौत पर प्रशासन ने माना कि बच्ची को दागा गया था, लेकिन प्रशासन के अनुसार उसकी मौत निमोनिया से हुई है. अब प्रशासन के दावों के बीच उठ रहे सवाल के चलते कलेक्टर के निर्देश पर 3 फरवरी की शाम बालिका के शव को दफन की गई जगह से बाहर निकाला गया, जहां से अब उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा. जिससे उसकी मौत के सही कारणों का पता लगाया जा सके.

दूसरा मामला- तीन माह की बच्ची को गर्म सलाखों से दागा, हालत नाजुक
कठौतिया के पड़ोस के गांव सामतपुर में एक और बच्ची को इलाज के नाम पर 24 बार गर्म सलाखों से दाग दिया गया. जिस गांव में दागने से बालिका की मौत हुई, उससे 3 किमी दूर गांव में बालिका के साथ यह क्रूरता हुई. बालिका को मेडिकल कॉलेज शहडोल में भर्ती कराया गया, जहां हालत नाजुक बनी हुई है. बाद में परिजन मेडिकल कॉलेज से निजी अस्पताल ले गए. बताया गया है कि तीन माह की शुभी कोल को सांस लेने में समस्या थी. मां सोनू कोल व पिता सूरज कोल गांव में झोलाछाप के यहां इलाज कराए लेकिन राहत नहीं मिली. बाद में मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे. बताया गया कि लगातार बीमार होने पर गांव की एक महिला ने गर्म सलाखों से दागा था.

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आदिवासी समुदाय में अब भी चल रही है दगना प्रथा
आदिवासी बाहुल्य जिला शहड़ोल में दगना कुप्रथा आज खत्म होने का नाम नहीं ले रही है.जन्म के समय से कुपोषित बच्चों को अंध विश्वास के चलते आदिवासीयों में गर्म लोहे से दागने की प्रथा है. आदिवासी समुदाय में गर्भवती महिलाओं की सही देखभाल न होने के चलते कई बार कुपोषित बच्चे पैदा होते हैं. जिनका जन्म के समय से ही बहुत कम वजन रहता है. मांस हड्डियों से चिपका रहता है. ऐसे बच्चों के इलाज के लिए जिला अस्पतालों में कुपोषण पुनर्वास केंद्र बनाए गए हैं. लेकिन, आदिवासी समुदाय में ऐसे बच्चों को अंधविश्वास के चलते दागने की प्रथा है.

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इलाज के नाम पर मासूमों को गर्म सलाखों से शरीर में कई जगह दाग दिया जाता है. इनका मानना है कि ऐसा करने से बच्चा ठीक हो जाएगा. लेकिन यह दर्दनाक इलाज बच्चों की जान के लिए खतरा बन जाता है

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