MP: क्या बीजेपी 29-0 से करेगी जीत दर्ज, किन सीटों पर कांग्रेस दे रही चुनौती? पढ़ें MP Tak की स्पेशल रिपोर्ट
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Lok Sabha Elections 2024: मध्यप्रदेश में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं और इन सभी 29 सीटों पर शनिवार को कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों के चेहरे स्पष्ट हो गए हैं. शनिवार को कांग्रेस ने अंतिम सूची जारी कर ग्वालियर से प्रवीण पाठक, मुरैना से नीटू सिकरवार और खंडवा सीट से नरेंद्र पटेल को चुनावी मैदान में उतार दिया है. बीजेपी ने काफी समय पहले ही सभी 29 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे.
बीजेपी का दावा है कि वह इस बार मध्यप्रदेश में 29-0 से जीत दर्ज करने जा रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा सीट बीजेपी हार गई थी लेकिन इस बार यह सीट भी बीजेपी के पाले में आ सकती है. वहीं कांग्रेस दावा कर रही है कि लगभग 15 से अधिक सीटें वह जीत सकती है और अन्य सीटों पर बीजेपी को कड़ी चुनौती पेश की जाएगी.अब ये तो दोनों पार्टियों के दावे हैं.
लेकिन इन दावों में कितना दम है और ग्राउंड पर तस्वीर कितनी साफ है, इसे समझने के लिए एमपी तक ने बात की बीजेपी और कांग्रेस की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ संपादकों से. मध्यप्रदेश के ग्राउंड पर कैसा है बीजेपी और कांग्रेस का वास्तविक हाल, पढ़िए, वरिष्ठ संपादकों की नजर से पूरा विश्लेषण.
कांग्रेस का मनोबल शून्य की ओर, बीजेपी दर्ज करेगी बड़ी जीत
जागरण समूह के कार्यकारी संपादक विष्णु त्रिपाठी कहते हैं कि "युद्ध और चुनाव संसाधन से लड़े जाते हैं लेकिन जीते मनोबल से जाते हैं. न सिर्फ मध्यप्रदेश में बल्कि पूरे देश में चुनाव शुरू होने से पहले ही कांग्रेस का मनोबल शून्य की ओर है और बीजेपी बड़ी जीत दर्ज करती हुई नजर आ रही है. बात मध्यप्रदेश की करें तो कांग्रेस के पास दो बड़े चेहरे कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ही हैं. अब कमलनाथ बीजेपी में शामिल होने के चक्कर में अपनी विश्वसनीयता खो दिए, जिसके कारण ही उनके गढ़ छिंदवाड़ा में उनका मेयर, दो विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष सहित ग्राउंड के नेता उनका साथ छोड़कर बीजेपी में आ गए तो वहीं दिग्विजय सिंह तो शुरू से ही अनिच्छा से राजगढ़ सीट पर चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं".
श्री त्रिपाठी बताते हैं कि "एमपी के विधानसभा चुनाव की शर्मनाक हार के बाद से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल तो पहले से ही टूटा हुआ था लेकिन अब जिस तरह से यूपी में सपा, बिहार में आरजेडी, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस से कई ऐसी सीटें छोड़ने पर मजबूर कर चुके हैं, जहां कांग्रेस के उम्मीदवारों का हक मारा गया. इन राज्यों की खबरों का असर भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस पर पड़ता दिख रहा है. वहीं इसकी तुलना में बीजेपी ने मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी के संकेत देकर विदिशा में चुनाव में उतारा तो बीजेपी संगठन के तीसरी लाइन के नेता डॉ. मोहन यादव को सीएम बनाकर पार्टी कार्यकर्ताओं को यह संदेश भी दे दिया कि दूसरी पार्टी से आने वाले नेताओं के ऊपर तव्वजो बीजेपी कैडर को ही दी जाएगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा बीजेपी की सभी 29 सीटों पर आगे रखा गया है. ये सभी फैक्टर बीजेपी के हित में काम करते हुए दिख रहे हैं".
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रतलाम, राजगढ़ और मुरैना सीट पर कांग्रेस निकाल सकती है सीट
पीपुल्स समाचार के मुख्य संपादक मनीष दीक्षित बताते हैं कि यह बात सही है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हालत ठीक नहीं है. लेकिन ग्राउंड से जिस तरह के समीकरण सामने आ रहे हैं, उसके अनुसार रतलाम से कांतिलाल भूरिया, राजगढ़ से दिग्विजय सिंह और आज घोषित किए गए मुरैना सीट से नीटू सिकरवार ये वो तीन नाम हैं, जो कांग्रेस की उम्मीदें जिंदा रख सकते हैं और जीत भी दर्ज कर सकते हैं.
श्री दीक्षित के अनुसार ग्वालियर-चंबल संभाग में बड़े पैमाने पर जाति की राजनीति होती है और उसका असर चुनाव परिणामों पर देखने को मिलेगा. मुरैना के अलावा ग्वालियर और भिंड लोकसभा सीट पर कांग्रेस कड़ी चुनौती दे सकती है. मालवा की रतलाम सीट पर कांतिलाल भूरिया के रूप में कांग्रेस ने बड़ा आदिवासी चेहरा उतारा है और वे कई बार इस क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव पूर्व में जीत भी चुके हैं. हालांकि बीजेपी को पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा और कांग्रेस की बिखरी हुई टीम की वजह से बड़ा लाभ होना तय है.
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कांग्रेस ने कुछ सीटों पर अच्छे कैंडिडेट दिए, लेकिन बीजेपी की संभावनाएं बेहतर
स्वदेश के समूह संपादक अतुल तारे बताते हैं कि बीजेपी को पीएम नरेंद्र मोदी की वजह से बड़ा लाभ मिलना तय है. मध्यप्रदेश में बीजेपी का कैंडिडेट कोई भी हो, लोग तो पीएम मोदी को देख रहे हैं. हालांकि कांग्रेस ने राजगढ़, मुरैना, सतना, रतलाम, ग्वालियर सहित कुछ सीटों पर अच्छे कैंडिडेट उतारे हैं, जिनकी वजह से चुनाव कुछ सीटों पर कांटे का हो सकता है. लेकिन कांग्रेस को जीत मिल जाएगी, ऐसा नजर नहीं आता है. बीजेपी ने कुछ सीटों पर अति आत्मविश्वास में टिकट दिए हैं, जिसकी वजह से भी कांग्रेस के उम्मीदवारों के साथ मुकाबला टक्कर का हो सकता है. लेकिन फिलहाल के जो समीकरण बनते दिख रहे हैं, उसमें बीजेपी ही मध्यप्रदेश में बड़ी जीत दर्ज करती दिख रही है.
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श्री तारे बताते हैं कि भले ही चुनाव को देखते हुए बीजेपी बड़ी संख्या में कांग्रेसी नेताओं को पार्टी में शामिल करा रही है लेकिन भविष्य में इसके कुछ दुष्परिणाम बीजेपी को भी झेलने पड़ सकते हैं. बीजेपी संगठन के लिए चुनाव के बाद चुनौती होगी, कांग्रेस से आए नेताओं को भाजपामय बनाने और भाजपा के पुराने नेताओं के साथ सभी को एडजस्ट करने में.
बीजेपी इस बार मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड जीत की ओर
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ संपादक एलएन शीतल बताते हैं कि इस बार बीजेपी 29-0 से जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड बना सकती है. सिर्फ छिंदवाड़ा ही वह सीट थी, जिसे कांग्रेस बचा सकती थी. लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने पूरी योजना के तहत छिंदवाड़ा सीट की घेराबंदी की और एक-एक करके कमलनाथ के सभी खास और करीबी नेताओं को तोड़कर बीजेपी में शामिल करा दिया, उसके बाद अब छिंदवाड़ा सीट भी कांग्रेस के हाथ से फिसलती हुई नजर आ रही है. बीजेपी में शामिल होने के चक्कर में कमलनाथ ने अपनी रही-सही विश्वसनीयता भी खो दी है. इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा है.
हालांकि ग्वालियर, मुरैना, रतलाम, राजगढ़ जैसी कुछ सीटें हैं जहां पर कांग्रेस बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकती है. किसी एक सीट पर कांग्रेस चौंका भी सकती है. लेकिन आज की तारीख में बात की जाए तो बीजेपी की 29-0 के साथ रिकॉर्ड जीत दर्ज करने की संभावनाएं काफी प्रबल नजर आ रही हैं.
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