मिसाल: पायल ने 10 लाख का पैकेज छोड़ शुरू किया गो-पालन, आज कर रही हैं लाखों की कमाई, जानें
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Women’s Day Special: कोरोना के दौरान नौकरी से हाथ धोने वाली राजगढ़ की महिला की कहानी आज हर किसी को प्रेरित कर रही है. पाडलिया गांव की पायल की जब नौकरी छूटी तो उन्होंने किसी की परवाह किए बिना गो-पालन शुरू कर दिया और उसी को अपनी आजीविका का साधन बना लिया. अब गो-पालन से हर महीने लाखों रुपये की कमाई करने वाली पायल नारी शक्ति की मिसाल बन गई हैं. पायल कई महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, अब वे दूसरी महिलाओं को भी रोजगार देना चाहती हैं. आइए जानते हैं आखिर कैसे शुरू हुई इस सफल सफर की शुरुआत…
आप कल्पना नहीं कर सकते कि एक पढ़ी लिखी इंजीनयर गायों को पालती है, उसका गोबर साफ करती है और दूध निकालती है. लेकिन इंजीनियर से गोपालक बनी पायल का कहना है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता, इस कारण इस व्यवसाय को हाथ में लिया. पायल अब राजगढ़ जिले में गोपालक के रूप में पहचानी जा रही हैं. उनके पास गौशाला में में पचास से ज्यादा उन्नत देशी गिर नस्ल की गायें पल रही हैं. 10 गिर नस्ल की गायों के साथ प्रांरभ हुई गौशाला में अब 50 से अधिक गिर नस्ल की गाय पल रही हैं. जिनसे लाखों की कमाई होती है.
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नौकरी छूटी तो शुरू किया गो-पालन
पाडलिया के किसान ने बेटी को पढ़ा लिखाकर इंजीनियर बनाया, फिर एमबीए की पढ़ाई करवाई लेकिन कोरोना ने बेटी का रोजगार छीन लिया. विवाह के बाद पायल ने पहले इंदौर में प्रायवेट इंजीनियर की नौकरी की, लेकिन कोरोना के दौरान काम पूरी तरह से बंद हो गया. परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया तो उन्हें अपने गांव किलोदा आना पड़ा. यहां पर सबसे पहले गौशाला खोलने का विचार किया. शुरुआत में 10 देशी गिर नस्ल की गाय लेकर आई. कुछ दिनों तक जब पशु पालन के व्यापार में लाभ दिखा तो गायों की संख्या में इजाफा किया. अब पायल की गौशाला में 50 से ज्यादा देशी गिर नस्ल की गाय हैं.
ऐसे होती है लाखों की कमाई
गौशाला की गायें रोजाना हजारों लीटर दूध दे रही हैं. दूध के अलावा गाय के घी का व्यापार भी दूर-दूर तक मशहूर है. इसके अलावा गाय का गोबर आदि बेंचकर भी अच्छी आय होती है. गायों के गोबर से वर्मी कंपोस्ट, गोमूत्र से गो-अर्क, कृषि दवाएं बनाई जा रही हैं. इस तरह पायल महीने में होने वाले सभी खर्चों को घटाकर एक लाख रुपए से ऊपर की आमदनी हो रही है. दूध की सप्लाई के लिए राजगढ़ और शाजापुर जिले के स्थानीय बाजारों में सीधे सप्लाई की जाती है. बिजनेस को बढ़ाने के लिए घी की सप्लाई के लिए ऑनलाइन का विकल्प भी दिया गया है.
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दूसरी महिलाओं को भी देना चाहती हैं रोजगार
पायल पाटीदार अब हर महीने लाखों रुपयों की कमाई कर रही हैं. पायल ने बताया कि वे चाहती हैं कि गांव की दूसरी महिलाओं को भी गोशाला में रोजगार दें. महिलाएं गाय के गोबर और गौमूत्र से तैयार होने वाले कंडे, धूप और अन्य उत्पाद में सहयोग करें. पायल ने ये भी कहा कि कोई काम छोटा नहीं होता है, मैने इंजीनियर की पढ़ाई की, लेकिन गौशाला में कर्मचारी नहीं मिलने पर काम को छोटा नहीं जाना व गोबर और गौमूत्र को भी साफ किया. गायों का दूध तक निकाल कर बेंचा, तब जाकर सफलता प्राप्त हुई.
दूर-दूर तक सप्लाई होता है दूध और घी
पायल ने कहा कि गो-पालन के पहले मैं इंदौर रहती थी. इंजीनियरिंग और एमबीए किया है. मैं जॉब करती थी, उसके बाद लॉकडाउन हुआ उसमें मेरी जॉब छूट गई, मेरे गांव किलोदा वापस आना पड़ा. मैं ऐसे बैठ नहीं सकती थी मेरे हस्बैंड से बोला कुछ करना है. आज हमारे फार्म हाउस में 50 गिर गाय हैं, इनका शुद्ध दूध जिसको A2 दूध बोलते हैं. यह दूध राजगढ़, शाजापुर, शुजालपुर में सप्लाई होता है. घी ऑल ओवर इंडिया और विदेश तक जाता है. यह काम शुरू करने में बहुत दिक्कतें आई. मेरी दो बेटियां हैं, बेटियों को खुद से दूर मम्मी के पास छोड़ा, खुद गोबर उठाने से लेकर दूध निकालने तक का काम किया.
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