MP Lok Sabha Election 2024 phase 2: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में मध्यप्रदेश में 6 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ है. शाम 6 बजे तक रीवा, सतना, खजुराहो, होशंगाबाद, दमोह और टीकमगढ़ में सिर्फ 58.35% मतदान हुआ है. अब ये आंकड़ा पिछली बार से कम वोटिंग होने को दिखा रहा है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने बताया कि शाम 6 बजे तक मध्यप्रदेश की टीकमगढ़, दमोह, खजुराहो, सतना, रीवा और होशंगाबाद की सीटों पर कुल 58.35% ही मतदान हुआ है. जिसमें सबसे अधिक मतदान होशंगाबाद सीट पर हुआ, जहां पर ये आंकड़ा 67.16 % दर्ज किया गया है.
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मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन के अनुसार टीकमगढ़ में 59.79 प्रतिशत, दमोह में 56.18 प्रतिशत, खजुराहो में 56.44, सतना में 61.87 प्रतिशत, रीवा में सबसे कम 48.67 प्रतिशत और होशंगाबाद में सबसे अधिक 67.16 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की इन सीटों पर कुल 67.6 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. वर्तमान में ये आंकड़ा 58.35 प्रतिशत है.
यानी शाम 6 बजे तक के आंकड़ों पर गौर करें तो अभी भी यह आंकड़ा पिछली बार की तुलना में कुल 9.25 प्रतिशत कम बता रहा है. निर्वाचन आयोग जब फाइनल आंकड़े जारी करेगा, तब ही फाइनल मत प्रतिशत भी सामने आएगा लेकिन शाम 6 बजे तक के जो आंकड़े निर्वाचन आयोग ने प्रस्तुत किए हैं, उनके अनुसार तो इस बार इन 6 सीटों पर कुल 9.25 प्रतिशत मतदान कम होना साबित कर रहा है.
अब ऐसे में राजनीतिक पंडितों ने अनुमान लगाना शुरू कर दिया है कि पिछली बार की तुलना में इस बार जो सवा नौ प्रतिशत की कम वोटिंग आंकड़ों में दिखाई दे रही है, उसके लाभ-हानि किस पार्टी को होने जा रहे हैं. क्या इस कम वोटिंग का लाभ बीजेपी को मिलेगा या फिर कांग्रेस को, ये तो 4 जून को आने वाले परिणाम ही बताएंगे लेकिन सभी राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे लेकर अपने-अपने मत देना शुरू कर दिए हैं.
कम वोटिंग से किसे होगा फायदा?
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कम वोटिंग से कांग्रेस को कुछ सीट पर लाभ होता दिख रहा है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बीजेपी के प्रति लोगों ने बहुत पॉजीटिव रुख नहीं दिखाया है, जिससे बड़े पैमाने पर लोग वोट डालने ही नहीं पहुंचे हैं तो कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि कम वोटिंग प्रतिशत का अर्थ सिर्फ रूलिंग पार्टी के प्रति उदासीन रवैया नहीं होता है बल्कि विपक्षी दल से भी कोई बहुत उम्मीद न होना भी होता है. जाहिर है कि कम मतदान प्रतिशत से कांग्रेस या बीजेपी दोनों में से किसे फायदा होगा, उसके लिए 4 जून को आने वाले परिणाम तक इंतजार करना होगा.
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