MP में खुदाई में मिला 5 सदी पुराना अद्भुत नगर, जानें शहर के खोज की पूरी कहानी

मयंक दुबे

23 Apr 2023 (अपडेटेड: Apr 23 2023 3:37 PM)

Orchha News: मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी ओरछा, जहां पर राजा रामसरकार विराजते हैं. वहां पर 16वीं सदी के मंदिर, महल और एक अद्भुत नगर सभ्यता दबी हुई मिली है, जिसे देखकर पुरातत्व विद भी हैरान रह गए हैं. नैसर्गिक सौंदर्य से दमकती ओरछा नगरी के आसपास गहरे राज छिपे हैं, जो समय […]

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Orchha News: मध्य प्रदेश की ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी ओरछा, जहां पर राजा रामसरकार विराजते हैं. वहां पर 16वीं सदी के मंदिर, महल और एक अद्भुत नगर सभ्यता दबी हुई मिली है, जिसे देखकर पुरातत्व विद भी हैरान रह गए हैं. नैसर्गिक सौंदर्य से दमकती ओरछा नगरी के आसपास गहरे राज छिपे हैं, जो समय के साथ-साथ बाहर आ रहे हैं. आपको सुनने में ताज्जुब हो रहा होगा कि 6-7 माह पहले जहां घने जंगल हुआ करते थे, वहां पर खुदाई के बाद 500 साल पुरानी 22 संरचनाएं मिली हैं.

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जानकारी के मुताबिक, 80 एकड़ में फैली ऐसी संरचनाएं एक छोटे नगर जैसी हैं, जिसे देखकर यह कहा जा सकता है कि यहां पर 500 साल पहले लोग निवास करते थे, इस आर्किलॉजिकल साइट के बारे में राज्य पुरात्तव विभाग की 8 महीनों की मेहनत के कारण ये जानकारी बाहर आई है. फिलहाल पुरातत्व विभाग ने यहां पर खुदाई रोक दी है और जो मिला है, उसका रंग रोगन किया जा रहा है, जिससे उसे संरक्षित किया जा सके. संभावना जताई जा रही है कि अभी और कुछ संरचनाएं मिल सकती हैं.

ओरछा में बुंदेली और मुगल स्थापत्य के उदाहरण स्पष्ट तौर पर देखे जा सकते हैं, जिसमें यहां की इमारतें, मंदिर, महल, बगीचे आदि शामिल हैं. स्थापत्य कला में हिंदू व मुगल स्थापत्य का प्रभाव साफ तौर पर देखा जा सकता है. 500 साल पहले भी 16वीं शताब्दी में ओरछा सबसे विकसित रियासतों में शामिल हुआ करता था. उस समय भी यहां पर सर्वसुविधायुक्त बस्तियां थी और इसमें राजा के मंत्री और सूबेदार साथ रहते थे.

करीब आठ महीने तक खुदाई चल रही है. फोटो- एमपी तक

जमीन के नीचे दबा मिला एक छोटा सा नगर
ऐतिहासिक नगर ओरछा में बेतवा नदी के उत्तरी किनारे पर जहां 6-7 महीने पहले घने जंगल के बीच मलबे का ढेर था, वहां वैज्ञानिक तरीके से जब साफ-सफाई के बाद खुदाई की गई तो करीब 500 साल पुरानी 22 संरचनाएं मिलीं. 80 एकड़ में फैली ये संरचनाएं छोटे नगर जैसी थी. जहां छोटे-छोटे महलनुमा आवासों की नींव और ग्राउंड फ्लोर का आधा स्ट्रक्चर साबुत मिला है. राज्य पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय संचालनालय की आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने यहां जंगल में साफ-सफाई का काम अक्टूबर में शुरू कराने के निर्देश दिए जिसके बाद पुराने घरों के अवशेष मिले तो प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया गया.

दो अधिकारियों की कड़ी मेहनत का नतीजा है ये महल
इस पूरे प्रोजेक्ट को लीड पुरातत्व अधिकारी घनश्याम बाथम और इंजीनियर राघवेंद्र तिवारी के नेतृत्व में किया गया. इस पूरे काम को चले आज करीब 7 माह हो गए है. शुरूआती में यहां मलबे के टीले थे, जिन्हें जब हटाया गया तो नई आर्कियोलॉजिकल साइट मिल गई. इसके बाद जैसे-जैसे यहां पर खोदाई की गई वैसे वैसे संरचनाएं मिलती गई.

22 पुरातत्विक संरचनाओं के वैज्ञानिक प्रमाण के बाद अब आयुक्त शिल्पा गुप्ता के द्वारा अब ओरछा के जहांगीर महल के दक्षिणी भाग में खुदाई के काम के साथ अब अनुरक्षण का कार्य भी किया जा रहा है. किले परिसर के 800 मीटर से अधिक के क्षेत्र में खुदाई और सफाई का काम किया जा चुका है. खुदाई में पुरातन काल के मकान आदि के अवशेष एवं अन्य सामग्री भी मिली है. चूंकि यहां पर पुरानी दीवारें व सामान आदि भी मिला जिसका संरक्षण करना बड़ी चुनौती थी, इसलिए इसके लिए एक्सपर्ट घनश्याम बाथम व उनकी टीम ने दिन रात मेहनत कर इस पुरातात्विक धरोहर को सहेजने का काम कर रहे हैं.

फोटो- एमपी तक

खुदाई में मिले यह अवशेष
खुदाई के दौरान यहां पर घरों में उपयोग में आने वाले मिट्टी के बर्तन ,सिल चक्की, रसोई घर, अनाज स्टोर करने के पात्र, मिट्टी के बच्चों के खिलौने एवं बावड़ियां और मंदिर के अवशेष मिले है. जिससे यह कहा जा सकता है कि यहां पर लोग पूर्व में व्यवस्थित तरीके से रहा करते थे. जो एक अच्छे नगर के सिटी प्लान को दर्शाता है.यहां पर मिल रहे अवशेषों से स्पष्ट होता है. यह पूरा निर्माण एक सुरक्षित कैंपस नुमा एरिया रहा होगा. जहां राजकीय काम को करने वाले लोगो की बस्ती थी.

यहां पर मजदूरों से बहुत ही सावधानी से और संभलकर खुदाई कराई गई थी. खुदाई में यहां पर बस्तियों के अवशेष पुराने आलीशान मकानों के अवशेष के साथ ही सड़क भी यहां पर मिली थी. साथ ही उस समय के मिट्टी और टेराकोटा के बर्तनों के साथ ही अन्य चीजें भी यहां पर मिल चुकी है. जिसे देखकर पता चलता है कि उस समय भी ओरछा राज्य को व्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिए राजा द्वारा अपने मंत्री, बजीर एवं सूबेदारों की एक कॉलोनी बनाकर रखा जाता होगा. इससे सभी की सुरक्षा के साथ ही राजकीय कार्य में सुविधा होती होगी.

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