लगातार चौथी बार भोपाल से कांग्रेस ने दिया नया उम्मीदवार, 35 साल से हार रही पार्टी का सूखा क्या अब खत्म होगा

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Bhopal Lok Sabha Seat: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की लोकसभा सीट हमेंशा ही कांग्रेस के लिए मुसीबत का कारण रही है. भोपाल लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है. पिछले 35 सालों से बीजेपी भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव जीत रही है. कांग्रेस ने बीजेपी को चुनौती देने पिछले चार बार से नए उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं लेकिन हर बार कांग्रेस को बीजेपी प्रत्याशियों से हार का मुंह देखना पड़ रहा है.

इस बार कांग्रेस ने अरुण श्रीवास्तव को भोपाल लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार बनाया है. पुराने कांग्रेसी नेता अरुण श्रीवास्तव को पार्टी के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गुट का माना जाता है. इस बार उनको टिकट तो मिल गया लेकिन बीजेपी का 35 साल का रिकॉर्ड उनके सामने एक बड़ी चुनौती है. बीजेपी ने भोपाल लोकसभा सीट से पूर्व महापौर आलोक शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है. 

चूंकि भोपाल लोकसभा सीटों पर कायस्थ वोटर्स की संख्या भी काफी अधिक है तो यह सोचकर कांग्रेस ने इस बार कायस्थ उम्मीदवार दिया. स्थानीय स्तर पर कायस्थ समाज में अरुण श्रीवास्तव की अच्छी पैठ बताई जाती है. लेकिन यहां दूसरे समाज के वोटर्स भी अच्छी खासी संख्या में हैं और अभी तक उनका झुकाव बीजेपी की तरफ देखा गया है.

35 साल का ये रिकॉर्ड कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती

बीजेपी भोपाल लोकसभा सीट पर बीते 35 साल से लगातार चुनाव जीत रही है. 1989 में बीजेपी के सुशील चंद्र वर्मा यहां से चुनाव जीते थे. इसके बाद 1991 से लेकर 1998 तक लगातार सुशील चंद्र वर्मा एक तरफा यहां से चुनाव जीतते रहे. 1999 में यहां से उमा भारती चुनाव जीती. फिर 2004 से लेकर 2009 तक लगातार कैलाश जोशी भोपाल सीट से लोकसभा चुनाव जीते. फिर 2014 में आलोक संजर और फिर 2019 में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव जीती. इस तरह 35 साल से लगातार भोपाल सीट पर सिर्फ बीजेपी उम्मीदवार ही चुनाव जीत रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस इस सीट पर कितना कुछ नया कर पाती है, ये आने वाला वक्त ही बताएगा. 

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