mptak
Search Icon

कांग्रेस ने डेढ़ दशक बाद पाई सत्ता कैसे 15 महीने में गंवाई? जानें मध्य प्रदेश में ‘ऑपरेशन लोटस’ की कहानी

सुमित पांडेय

ADVERTISEMENT

Operation Lotus 2020, Kamalnath Government, MP Congress, MP BJP, Shivraj singh Chauhan, Jyotiraditya Scindia, MP Politics, MP Assembly Election 2018
Operation Lotus 2020, Kamalnath Government, MP Congress, MP BJP, Shivraj singh Chauhan, Jyotiraditya Scindia, MP Politics, MP Assembly Election 2018
social share
google news

ऑपरेशन लोटस एपिसोड-1:  मध्य प्रदेश में यह चुनावी साल है और दोनों ही पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दीं हैं. राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान और पूर्व सीएम कमलनाथ के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है. भाजपा जहां विकास यात्रा निकाल कर अपनी उपलब्धियां गिना रही है. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मोर्चा संभाल लिया है. उन्होंने ग्वालियर चंबल और महाकौशल पर फोकस बढ़ा दिया है. वह 4 दिन के अंदर दो रैलियां कर चुके हैं. उमरिया में हुई रैली में उन्होंने बड़ा बयान देकर सियासत गर्मा दी है, जिसमें उन्होंने 15 महीने में कुर्सी गंवाने के सवाल पर कहा- ‘मैं सीएम था और सौदा कर सकता था. यह सब अचानक नहीं हुआ, मुझे पता था कि इत्ता पैसा दिया जा रहा है, मैं कुर्सी के लिए सौदा नहीं करना चाहता था, MP की पहचान कुर्सी के लिए सौदे करने से नहीं करवा सकता था.”

कमलनाथ पूरी कांग्रेस में अकेले ही संघर्ष करते दिखाई दे रहे हैं. क्योंकि कांग्रेस के अंदर सीएम फेस को लेकर घमासान मच गया. असल में, MP Tak के मंच पर कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने कमलनाथ के मुख्यमंत्री का चेहरा होने के सवाल पर साफ कह दिया कि सीएम फेस चुनाव के बाद तय होगा और इसे आलाकमान ही तय करेगा. साथ ही एमपी कांग्रेस में कम्युनिकेशन गैप होने की बात भी कही थी. इसके बाद बवाल शुरू हो गया है और कमलनाथ को बार-बार सफाई देनी पड़ रही है.

मध्य प्रदेश की सियासी गहमागहमी में MP Tak आपको सिलसिलेवार तरीके से बताने जा रहा है ‘ऑपरेशन लोटस 2020’ और कमलनाथ सरकार के गिरने की पूरी कहानी… 17 दिन तक चले हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद 20 मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया. पहली किश्त में पढ़िए, कैसे शुरू हुआ था घमासान और क्यों बढ़ती गई कमलनाथ और सिंधिया के बीच खाई…

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

मध्य प्रदेश में कोरोना ने दस्तक दे दी थी और थोड़ी हलचल भी होने लगी थी, लेकिन उससे भी ज्यादा तूफान मचा हुआ था MP की राजनीति में. 20 मार्च राज्य की सियासत का वह दिन है, जब 15 साल बाद सत्ता पर काबिज होने वाली कांग्रेस की कमलनाथ सरकार 15 महीने बाद ही गिर गई. ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके साथ 22 कांग्रेसी विधायकों के इस्तीफे के बाद अल्पमत में आई सरकार के मुखिया कमलनाथ ने 20 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन 15 साल बाद प्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस की सरकार 15 महीनों में ही कैसे गिर गई?

ये भी पढ़ें: कांग्रेस में CM फेस को लेकर मचा बवाल; आगे कमलनाथ तो पीछे कौन? MP TAK ‘बैठक’ के बाद खड़े हुए सवाल

ADVERTISEMENT

ये भी पढ़ें: भावी मुख्यमंत्री के सवाल पर कमलनाथ को फिर देनी पड़ी सफाई, बोले- मैं किसी पद के लोभ में नहीं…

ADVERTISEMENT

ऐसे शुरू हुआ घमासान
वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह कहते हैं, कमलनाथ सरकार गिरने की वजह कांग्रेस की आपसी अंतर्कलह थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के बीच सियासी वर्चस्व की लड़ाई की वजह से कांग्रेस को मध्य प्रदेश में सत्ता गंवानी पड़ी. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने और कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही सिंधिया और कमलनाथ के बीच कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही थी. यही वजह रही कि अनबन बढ़ती गई और आखिर में सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. दरअसल, टीकमगढ़ की एक सभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया के अतिथि शिक्षकों के साथ सड़क पर उतरने के ऐलान के बाद विवाद और ज्यादा बढ़ गया.

सिंधिया ने कहा- सड़क पर उतरेंगे, कमलनाथ ने कहा- उतर जाएं
टीकमगढ़ में अतिथि शिक्षकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से उनकी मांगे पूरी नहीं होने पर सवाल किया तो सिंधिया ने कहा कि अगर अतिथि शिक्षकों की मांगे पूरी नहीं हुई तो वह उनके साथ सड़कों पर उतरेंगे. प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद यह पहला मौका था जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी ही सरकार के खिलाफ कोई बयान दिया था. जब कमलनाथ से इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा- “वह (सिंधिया) सड़क पर उतरना चाहते हैं तो उतर जाएं.” इस घटना के बाद बात बिगड़ती गई और नजीता यह हुआ कि कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा और मध्य प्रदेश में कर्नाटक के बाद ऑपरेशन लोटस सफल रहा.

ये भी पढ़ें: MP में सत्ता की चाबी हैं 47 आदिवासी सीटें! वोटर्स को लुभाने के लिए क्या है बीजेपी और कांग्रेस का प्लान?

ये भी पढ़ें: MP में विधानसभा चुनाव से पहले क्यों लग रही हैं CM का ‘चेहरा’ बदलने की अटकलें! समझिए

सिंधिया परिवार ने पहले भी सरकार गिराई थी
मध्य प्रदेश की राजनीति को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश राजपूत ने 2020 के राजनीतिक घटनाक्रम को “वो 17 दिन” के नाम से किताब लिखी है. वह लिखते हैं, “यह पहली घटना नहीं है जब मध्य प्रदेश में इस तरह चुनी हुई सरकार गिराकर विपक्ष सत्ता में काबिज हुआ हो. ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह ही उनकी दादी विजयाराजे सिंधिया भी कांग्रेस से नाराज हो गई थीं और उन्होंने भी प्रदेश में डीपी मिश्र की सरकार गिराकर गोविंद नारायण सिंह की संविद सरकार बनवा दी थी.”

सिंधिया समर्थक 19 विधायक अचानक गायब
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर असल राजनीतिक संकट 9 मार्च से शुरू हुआ. ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक करीब 19 विधायक अचानक गायब होने से कांग्रेस में हड़कंप मच गया. इन विधायकों में 6 मंत्री भी शामिल थे. खबर मिली की ये सभी 22 विधायक बेंगलुरु के एक होटल में हैं. इन विधायकों में गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, इमरती देवी, तुलसी सिलावट, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसौदिया शामिल थे. जो कमलनाथ सरकार में मंत्री भी थे. इसके अलावा विधायक हरदीप सिंह डंग, जसपाल सिंह जज्जी, राजवर्धन सिंह, ओपीएस भदौरिया, मुन्ना लाल गोयल, रघुराज सिंह कंसाना, कमलेश जाटव, बृजेंद्र सिंह यादव, सुरेश धाकड़, गिरराज दंडौतिया, रक्षा संतराम सिरौनिया, रणवीर जाटव, जसवंत जाटव, मनौज चौधरी, बिसाहूलाल सिंह, ऐंदल सिंह कंसाना शामिल थे.

ये भी पढ़ें: NHM भर्ती पेपर लीक: 8 गिरफ्तार, लेकिन मास्टरमाइंड फरार; कांग्रेस का सरकार पर हमला

शाम को खबर आई कि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करने उनके आवास पहुंचे हैं. इसके बाद स्पष्ट हो गया कि अब कमलनाथ सरकार खतरे में है और हुआ भी वही, क्योंकि सिंधिया ने अमित शाह से मिलने के बाद कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.

सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर मचाया हड़कंप
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च की सुबह अपने दिल्ली स्थित आवास से सीधे फिर गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात के कुछ ही देर बात ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इस्तीफा कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा. जैसे ही सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया, बेंगलुरु में मौजूद 22 विधायकों ने भी एक साथ अपना इस्तीफा दे दिया. जिससे कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई.

ये भी पढ़ें: विकास यात्रा के बीच में शिवराज के मंत्री को मच गई ‘खुजली’, जानें क्या है पूरा मामला

इतना ही नहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के बाद प्रदेश में उनके समर्थकों में इस्तीफा देने की होड़ मच गई. इसके बाद एमपी के कई कांग्रेस नेताओं ने पार्टी छोड़ दी. जब कमलनाथ को यह समझ आ गया कि अब सरकार नहीं बचेगी तो उन्होंने 20 मार्च को सीएम हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और इसके बाद इस्तीफा दे दिया. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने रिकॉर्ड चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित किया.

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT