भोपाल: स्व. पुष्पेंद्र पाल सिंह को श्रद्धांजलि देने पहुंचे कमलनाथ, कर दी ये बड़ी घोषणा

एमपी तक

17 Mar 2023 (अपडेटेड: Mar 17 2023 3:57 PM)

Bhopal news:  गांधी भवन में स्वर्गीय पुष्पेन्द्र पाल सिंह ( पीपी सर ) को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सभी छात्र छात्राओं और सामाजिक- नागरिक संस्थाओं संगठनों और मित्रगणों द्वारा सामूहिक स्मृति सभा का आयोजन किया गया. स्मृति सभा में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहुंच कर श्रद्धांजलि अर्पित कर स्मृति सभा को संबोधित किया. पूर्व […]

Bhopal: Self. Kamal Nath arrived to pay tribute to Pushpendra Pal Singh, made this big announcement

Bhopal: Self. Kamal Nath arrived to pay tribute to Pushpendra Pal Singh, made this big announcement

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Bhopal news:  गांधी भवन में स्वर्गीय पुष्पेन्द्र पाल सिंह ( पीपी सर ) को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सभी छात्र छात्राओं और सामाजिक- नागरिक संस्थाओं संगठनों और मित्रगणों द्वारा सामूहिक स्मृति सभा का आयोजन किया गया. स्मृति सभा में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहुंच कर श्रद्धांजलि अर्पित कर स्मृति सभा को संबोधित किया. पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने पीपी सर के जन्मदिन पर राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार देने की सहमति दी.

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पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि पीपी जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में हजारों पत्रकारो को जन्म दिया. मेरा सौभाग्य था जब मैं मुख्यमंत्री था तो उनके साथ काम करने का मौका मिला. उन्होंने पत्रकारिता के छात्रों को बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया. वो क्लास रूम के बाहर छात्रों को ज्ञान देते थे. पत्रकारिता के मूल्यों को बनाये रखने के लिए, संस्कृति को ताकत देने के लिए, उनको जोड़ने के लिए पीपी जी ने क्या नहीं किया. इतनी विविधता में भी पीपी जी लगे रहे, हमारे मूल्यों के रक्षक पीपी जी थे। वो हमारे समाज के लिए एक उदाहरण थे.

फोटो: एमपी तक

एक जैविक शिक्षक थे पुष्पेंद्र
आनंद प्रधान ने संबोधन में कहा कि पुष्पेन्द्र सिंह जी से मेरा परिचय उनकी शिक्षा के दौरान बनारस विश्वविद्यालय में हुआ था. विश्वविद्यालय में मुलाकात की यादें रहीं पुष्पेन्द्र सिंह जी एक जैविक शिक्षक थे. जो जमीन से जुड़े थे ज़मीन पर ही उन्होंने अपना विस्तार किया. पीपी सर प्रतिबद्धता और लगाव के साथ छात्र छात्राओं के साथ रहते थे उनके संबंध कक्षा से लेकर बाहरी जीवन में भी रहता था.

उनमें अलग तरह का जुनून प्रतिबंधता थी. एक आध्यपक को सिर्फ क्लास रूम तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए. प्रामरी के आध्यापक उंगली पकड़ कर चलना सीखते थे. कॉलेज में ये बहुत ही कम देखने को मिलता है. शिक्षक को अपने अंदर झांकना चाहिए कैसे विद्यार्थियों को बनाया जाए. विश्वविद्यालय शिक्षक और विद्यार्थी के कारण जाना जाता है. एक अच्छा शिक्षक क्लास रूम के बाहर अपने विद्यार्थियों को बनाता और बेहतर करता है. वो शिक्षक अपने विद्यार्थी में जिंदा रहेगा.

पुष्पेंद्र की यादों को भूला पाना मुश्किल
राजेश बादल ने संबोधन में कहा कि पुष्पेन्द्र सिंह जी को देश भर के विश्वविद्यालय में चाहने वाले लोग थे कई पत्रकारिता विश्वविद्यालय में अधिकतर शिक्षक भी उनके शिष्य रहें पीपी सर के स्वभाव से कम बहुत सारे लोग प्रभावित थे. उनकी यादों को भुला पाना बहुत मुश्किल है. कार्यक्रम में कमल दीक्षित, मैडम उप्पल, पुष्पेंद्र पाल सिंह हमेशा साथ रहे. पुष्पेंद्र पाल पता नहीं कब पीपी सर बन गए. उन्होंने कई हीरे तराशे है.

पुष्पेंद्र जी होते नहीं थे, दिखते थे
डॉ विजय बहादुर सिंह जी ने कहा कि पुष्पेन्द्र सिंह मरे नहीं परिस्थितियों ऐसी बनाई कि इसके अलावा उनके पास कोई रास्ता नहीं था. अब बहुत मुश्किल हो गया है ऐसे शिक्षकों का होना जो स्वयं में एक संस्था हो , शिक्षण संस्थान टेबल और कुर्सी से नहीं पहचानी जाती शिक्षकों से पहचानी जाती हैं अपने शिष्यों के बीच व्याप्त थे उन्हीं के बीच जीते थे और जिना सिखाते हैं पुष्पेन्द्र दिखते नहीं थे, लेकिन रहते थे देर रात तक निष्ठा के साथ कार्य करते रहते थे पुष्पेन्द्र सिंह जैसे अध्यापकों का रहना एक आशा एक उम्मीद की तरह था.

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