निवाड़ी के छोटे तालाब को बचाने आगे आया ढीमर समाज, बिना सरकारी मदद के सफाई का जिम्मा उठाया

मयंक दुबे

22 Feb 2023 (अपडेटेड: Feb 22 2023 11:56 AM)

NIWARI NEWS: मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले में यहां के प्रमुख छाेटे तालाब को बचाने अब यहां का ढीमर समाज आगे आया है. ढीमर समाज के लोगों ने बिना किसी सरकारी मदद के खुद ही अपने प्रयासों से यहां के प्रमुख छोटे तालाब को संवारने का जिम्मा उठाया है. दरअसल छोटे तालाब को पूरी तरह से […]

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NIWARI NEWS: मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले में यहां के प्रमुख छाेटे तालाब को बचाने अब यहां का ढीमर समाज आगे आया है. ढीमर समाज के लोगों ने बिना किसी सरकारी मदद के खुद ही अपने प्रयासों से यहां के प्रमुख छोटे तालाब को संवारने का जिम्मा उठाया है. दरअसल छोटे तालाब को पूरी तरह से कंबोदरी घास ने अपनी जकड़ में ले लिया. इसकी वजह से पानी का प्रवाह रुक गया और तालाब में मौजूद मछलियों की मौत होने लगी. पर्यावरण को सुरक्षित बनाए रखने के लिए प्रशासनिक मशीनरी का मुंह देखने के बजाय यहां के ढीमर समाज ने खुद ही तालाब की सफाई का जिम्मा उठा लिया.

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दरअसल निवाड़ी के बीचों बीच बने छोटे तालाब को कंबोदरी घास यानी जलकुंभी ने इस तरह जकड़ लिया है कि पानी तक दिखाई नहीं दे रहा है. इसका परिणाम यह हुआ कि यहां की मछलियों को हवा नहीं मिल रही है और इसके कारण उनकी मौत हो रही है. कंबोदरी घास  बहुत तेजी से बढ़ती है और अपना जाल पूरे तालाब पर कस देती है.

कई बार यहां घूमने वाले कुत्ते भी तालाब में घुस जाते हैं और जल कुंभी के बीच फंसकर मर जाते हैं. लेकिन सबसे बड़ा नुकसान हो रहा है तालाब की मछिलयों को. साफ हवा और गंदे पानी में लंबे समय तक रहने के कारण मछिलयां मरने लगी हैं. इसी वजह से ढीमर समाज ने खुद ही तय किया कि अब वे ही इस तालाब की सफाई करेंगे.

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शहर का एकमात्र तालाब, मछली पालन होने लगा प्रभावित
निवाड़ी शहर का यह एक मात्र तालाब है जो शहर के बीचोबीच बना है और यहां पर मछली पालन होता है. मछली पालन ढीमर समाज के लोग करते हैं. प्रशासन से कई बार तालाब की सफाई के लिए बोला गया लेकिन किसी ने भी तालाब को साफ करने में दिलचस्पी नहीं ली. यह तालाब शहर में एक टूरिस्ट स्पॉट का काम भी करता है जहां पर शहर के लोग आते हैं और कुछ समय बिताते हैं. लेकिन तालाब की बुरी हालत और मृत पड़े पशुओं की बदबू की वजह से लोगों ने यहां आना पिछले कुछ दिनों से बंद कर दिया है. सफाई का काम कर रहे मजदूरों ने बताया कि तालाब को पूरी तरह से साफ करने में दो से तीन महीने का समय लग जाएगा.

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