फ्लोर टेस्ट में नाकामी के डर से कमलनाथ ने पहले ही छोड़ दिया था ‘राजपाट’, ऐसे हुआ 17 दिन तक चले घमासान का अंत

सुमित पांडेय

13 Feb 2023 (अपडेटेड: Feb 13 2023 5:58 PM)

Operation Lotus Episode 3: मध्य प्रदेश में यूं तो विधानसभा चुनाव साल के आखिर में हैं, लेकिन सियासी पारा अभी से चढ़ा हुआ है, भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के शीर्ष नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हर रोज चुनावी रैली और कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं. दोनों नेताओं […]

Kamal Nath digvijay singh

Kamal Nath digvijay singh

follow google news

Operation Lotus Episode 3: मध्य प्रदेश में यूं तो विधानसभा चुनाव साल के आखिर में हैं, लेकिन सियासी पारा अभी से चढ़ा हुआ है, भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के शीर्ष नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ हर रोज चुनावी रैली और कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं. दोनों नेताओं के बीच सवालों का सिलसिला भी चल रहा है, शिवराज सिंह चौहान अब तक 16 सवाल पूछ चुके हैं जवाब में कमलनाथ भी उनसे सवाल करते हैं और जवाब कोई नहीं देता है. 12 फरवरी रविवार को भीम आर्मी ने भोपाल के दशहरा मैदान में विशाल रैली की, आर्मी के चीफ चंद्रशेखर रावण ने कहा कि इस बार सीएम आदिवासी बनाएंगे… रैली में 5 लाख लोगों के पहुंचने का दावा किया गया…

यह भी पढ़ें...

मध्य प्रदेश में चढ़ रहे सियासी पारे के बीच MP Tak आपको सिलसिलेवार तरीके से ‘ऑपरेशन लोटस 2020’ और कमलनाथ सरकार के गिरने की पूरी कहानी बता रहा है… पूरे 17 दिन तक चले हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद 20 मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया. तीसरे एपिसोड में पढ़िए कैसे सिंधिया समर्थक विधायकों को बेंगलुरू ले जाया गया और फिर वहीं से सभी विधायकों ने इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार को अल्पमत में ला दिया…

चुनी हुई सरकार का हो गया अंत
मध्य प्रदेश में 20 मार्च 2020 दिन शुक्रवार, शाम को करीब 7 बजे तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सीएम हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई. जिस बात का अंदाजा पहले से लग रहा था, प्रेस कॉन्फ्रेंस में वही हुआ. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी. इसके साथ ही 15 साल बाद लौटी कांग्रेस की सरकार गिर गई. “प्रदेश की जनता ने मुझे पांच साल सरकार चलाने का बहुमत दिया था लेकिन बीजेपी ने प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया. बीजेपी शुरू से कहती आ रही है कि ये सरकार सिर्फ़ 15 दिन चलेगी.”

कमलनाथ ने अपने इस्तीफे की घोषणा करते समय यही कहा… इसके बाद 15 महीने में कराए अपने कामों का ज़िक्र किया. इसके साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन से भाजपा के फिर से सत्ता में आने का रास्ता साफ हो गया….

सारे गुणा-गणित के बाद भी अल्पमत में आई कमलनाथ सरकार
आंकड़ों के लिहाज से देखें तो कांग्रेस के पास बहुमत नजर नहीं आ रहा था. कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद पार्टी के पास अब 92 सदस्य थे. वहीं अन्य 7 जिनमें समाजवादी पार्टी का एक, बहुजन समाज पार्टी के दो और निर्दलीय चार विधायक सरकार के साथ खड़े नजर नहीं आए. नारायण त्रिपाठी के एक वोट के सहारे भी कांग्रेस का आकड़ा 100 पर पहुंच रहा है, जो बहुमत के आंकड़े 104 से कम है.

ऐसे जाती रही कमलनाथ की सत्ता
स्पीकर ने बीजेपी के शरद कोल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया था. उन्होंने पहले इस्तीफा दे दिया था लेकिन बाद में उन्होंने बाद में इसे स्वीकार नहीं करने की बात कही थी. स्पीकर एनपी प्रजापति ने कमलनाथ के इस्तीफे से एक दिन पहले कांग्रेस के 16 विधायकों के इस्तीफे भी स्वीकार कर लिये. वहीं, मंत्रिमंडल में शामिल 6 सिंधिया समर्थक मंत्री रहे विधायकों के इस्तीफे पहले ही स्वीकार कर लिये गये थे.

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक एनके सिंह कहते हैं, “इसके लिए बीजेपी जिम्मेदार नही थी. उन्हें हाथ में कैच मिल रहा था और बीजेपी ने उसे लपक लिया. जितने भी विधायक और मंत्री कमलनाथ को छोड़कर बेंगलुरु गए थे, उनमें से किसी ने नहीं कहा कि बीजेपी ने उनका अपहरण किया या उन्हें किसी भी तरह का प्रलोभन दिया गया.”

सिंधिया समर्थक विधायकों ने वीडियो जारी कर दिया संदेश
इस बीच बीजेपी और कांग्रेस के विधायक वापस भोपाल लौट आए. वहीं बेंगलुरू में बैठे सिंधिया समर्थक विधायकों ने वीडियो जारी कर बताया कि वे अपनी मर्जी से वहां आए हैं. उन्होंने अपना इस्तीफा भेज दिया है. वह अब सरकार के साथ नहीं है. 15 मार्च को देर रात तक राजधानी भोपाल में गहमागहमी चलती रही, इस दौरान कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात की. मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा कि फ्लोर टेस्ट का फैसला विधानसभा अध्यक्ष लेंगे.

Exclusive: ‘सिंधिया के ‘अनैतिक’ कामों को कमलनाथ ने बहुत बर्दाश्त किया’, डॉ. गोविंद सिंह ने लगाए कई गंभीर आरोप

Pradyuman Singh Tomar Exclusive: सिंधिया सीएम फेस होंगे या नहीं, इसका फैसला अब BJP पर छोड़ा

बीजेपी ने कराई राज्यपाल के सामने विधायकों की परेड
विधानसभा का सत्र शुरु हुआ. लेकिन राज्यपाल के भाषण के बाद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कोरोना का हवाला देते हुए सदन स्थगित कर दिया और फ्लोर टेस्ट नहीं कराया गया. फ्लोर टेस्ट नहीं होने पर बीजेपी अपने तमाम विधायकों के साथ राजभवन पहुंचकर राज्यपाल लालजी टंडन के सामने परेड कर कमलनाथ सरकार को अल्पमत में बताया.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मध्य प्रदेश का सियासी ड्रामा
मध्य प्रदेश में चल रहा यह सियासी ड्रामा 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. स्पीकर के इस फैसले के खिलाफ भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां तीन दिनों तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट कराए जाने के आदेश दिए. 20 मार्च 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने शाम 5 बजे का समय फ्लोर टेस्ट के लिए तय किया. पूरे देश की नजरें इस फ्लोर टेस्ट पर टिकी हुईं थी. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चंद घंटों बाद ही 17 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने देर रात बेंगलुरू में बैठे कांग्रेस के बागी 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए, जिसके बाद मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार आधिकारिक तौर पर अल्पमत में आ गई.

19 मार्च को कांग्रेस ने सरकार बचाने की आखिरी कोशिश की, दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस के कई बड़े नेता बेंगलुरु बागी विधायकों को मनाने पहुंचे लेकिन बेंगलुरु पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. कांग्रेस नेताओं की यह कोशिश काम नहीं आई.

कमलनाथ ने ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ अभियान का लिया फीडबैक, संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत बनाने का दिया लक्ष्य

CM फेस पर सफाई देते समय कमलनाथ ने कह दी बड़ी बात- ‘चुनाव जीतेंगे तो तय करेंगे सीएम, बाकी मैं किसी…’

20 मार्च को गिर गई कमलनाथ सरकार
आखिा 20 मार्च को कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट से गुजरना था, लेकिन उससे पहले ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी, उन्होंने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल लालजी टंडन को अपना इस्तीफा सौंप दिया और इस तरह 15 महीने तक चली कमलनाथ सरकार गिर गई. जिसके बाद मध्य प्रदेश में 17 दिन से चल रहा यह सियासी संग्राम थम गया. मध्य प्रदेश की सियासत में 17 दिन तक घटी यह घटनाएं सूबे के सियासी इतिहास में दर्ज हो गई.

कमलनाथ के इस्तीफा देने के बाद ही बीजेपी ने राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा प्रस्तुत कर दिया. जहां 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इस तरह 15 महीने बाद ही बीजेपी एक बार फिर मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो गई.

ऑपरेशन लोटस की कहानी…

पहली किश्त यहां पढ़ें: कांग्रेस ने डेढ़ दशक बाद पाई सत्ता कैसे 15 महीने में गंवाई? जानें मध्य प्रदेश में ‘ऑपरेशन लोटस’ की कहानी

दूसरी किश्त यहां पढ़ें: ऑपरेशन लोटस: भाजपा का सियासी ‘मोहरा’ बने सिंधिया ने ऐसे किया तख्तापलट; 15 महीने में ही शिव ‘राज’ रिटर्न

    follow google newsfollow whatsapp