शिवराज-सिंधिया की जी-तोड़ मेहनत क्या वोट में बदल पाएगी? आखिरी चुनाव के बाद दिग्विजय सिंह का क्या होगा?
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Third phase of Madhya Pradesh Lok Sabha elections: MP Lok Sabha Elections Third Phase: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान 7 मई यानि कल होने वाला है. तीसरे फेज में जहां देशभर में 93 सीटों पर चुनाव हो रहा है. वहीं, मध्य प्रदेश की कांग्रेस और भाजपा के नजरिए से 9 बेहद महत्वपूर्ण सीटों पर मतदान कराया जाएगा. इनमें विदिशा, राजगढ़, गुना, मुरैना, सागर, ग्वालियर, भिंड, भोपाल और बैतूल सीट शामिल हैं. इन सभी सीटों पर 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. तीसरे फेज की सभी 9 सीटें हॉट सीट हैं. इसमें कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
तीसरे फेज में देश की निगाहें तीन सीटों राजगढ़, विदिशा और गुना पर टिकी हुई हैं. यहां से दो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और दिग्विजय सिंह के साथ ही गुना से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.
तीन सीटों पर 2 पूर्व मुख्यमंत्री, तो वहीं एक पर केंद्रीय मंत्री चुनावी मैदान में हैं. इसके साथ ही इनको प्रदेश समेत पूरे देशभर में अपने उपनामों के लिए भी जाना जाता है. विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे शिवराज सिंह को मामा, गुना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे ज्योतरादित्य सिंधिया को महाराज, तो वहीं राजगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को राजा साहब के नाम से जाना जाता है. ये सभी अपने नेता अपने गढ़ में ही चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में जानते हैं कैसा रहेगा मुकाबला...
विदिशा लोकसभा सीट से 'मामा' छठवीं बार मैदान में
मध्य प्रदेश की सबसे हॉट सीट विदिशा लोकसभा सीट को माना जा रहा है, ऐसा इसलिए क्योंकि इस सीट से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छठवीं बार चुनावी मैदान में है. यह सीट हमेशा से ही बीजेपी का गढ़ मानी जाती रही है. इस सीट को लेकर ऐसा माना जा रहा है कि यसीट हां जीतने को लेकर नहीं बल्कि कितने लाख वोटों से जीत होगी इसको लेकर मुकाबला हो रहा है. शिवराज सिंह चौहान का मुकाबला पूर्व सांसद प्रताप भानु शर्मा से है. साल 1991 में भानु प्रताप शर्मा ही विदिशा सीट से कांग्रेस के आखिरी सांसद चुने गए थे. तब से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है.
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पिछले चुनाव की हार भूल नहीं पाए महाराज?
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में ज्योतरादित्य सिंधिया अपनी परंपरागत सीट गुना से चुनाव हार गए थे. उन्हें यहां पहले उनके ही करीबी रहे केपी यादव ने शिकस्त दी थी. इसके बाद साल 2020 में सिधिंया भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. जिसके बाद वे इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट को सिंधिया परिवार का गढ़ माना जाता है. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह से है. भारतीय जनता पार्टी ने सिधिंया को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. अब देखना होगा कि सिधिंया अपना खोया हुआ किला वापस ले पाते हैं या फिर नहीं.
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33 साल बाद अपनी सीट पर लौटे 'राजा'
कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह राजगढ़ लोकसभा सीट पर 33 साल बाद चुनाव लड़ने पहुंचे हैं. इस चुनाव को वे अपना आखिरी चुनाव बता रहे हैं. वह यहां से साल 1984 और 1991 में सांसद रह चुके हैं. पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो उन्हें भोपाल से करारी हार का सामना करना पड़ा था. 33 साल बाद लौटे राजा अपनी जमीन वापस ले पाने में कामयाब होते हैं या फिर नहीं, इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के रोडमल नागर से है. जो पीएम मोदी के नाम वोट मांग रहे हैं, तो वहीं दिग्विजय अपने आखिरी चुनाव का इमोशनल कार्ड खेलकर चुनावी मैदान में है.
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