दुष्कर्म पीड़िता ने खुद को बताया नाबालिग, पॉक्सो के आरोप में 5 साल काटी सजा, अब हुआ बरी

Indore News: इंदौर के लसूड़िया थाना क्षेत्र में एक युवती के खुद को नाबालिग बताने की वजह से युवक को 5 साल की सजा दी गई, लेकिन जब सामने आया कि पीड़िता नाबालिग नहीं, बल्कि बालिग थी तो आरोपी को बरी कर दिया गया. 5 साल चले इस केस में आरोपी के वकील ने युवती […]

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Indore News: इंदौर के लसूड़िया थाना क्षेत्र में एक युवती के खुद को नाबालिग बताने की वजह से युवक को 5 साल की सजा दी गई, लेकिन जब सामने आया कि पीड़िता नाबालिग नहीं, बल्कि बालिग थी तो आरोपी को बरी कर दिया गया. 5 साल चले इस केस में आरोपी के वकील ने युवती के आरोपों को झूठ साबित कर दिया और आरोपी बरी हो गया.

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इंदौर के लसूड़िया थाना क्षेत्र में वर्ष 2018 में एक युवती द्वारा एक युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. परिवार द्वारा उस वक्त जो दस्तावेज पुलिस को दिए गए थे, उसमें पीड़िता को नाबालिग बताया गया था. नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के बाद आरोपी द्वारा परिवार वालों को जान से मारने की धमकी का आरोप भी लगाया गया था. जहां पुलिस द्वारा आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.

घरवालों के दवाब में बोला झूठ
जानकारी के मुताबिक युवती के युवक के साथ संबंध थे. लेकिन घरवालों के दवाब के चलते उसने युवक पर दुष्कर्म का केस कर दिया था. दवाब के चलते युवती ने खुद को नाबालिग बताया था, जिसके बाद युवक के ऊपर दुष्कर्म और पॉक्सो की धाराएं लगाकर जेल भेज दिया गया था. अब आरोपी के वकीलों ने साबित कर दिया कि पीड़िता बालिग थी, जिसके बाद आरोपी को बरी कर दिया गया.

वकीलों ने किया साबित
जिला न्यायालय अधिवक्ता राजन कालदाते व संदीप चौधरी ने बताया कि लसूड़िया थाना क्षेत्र में एक पीड़िता ने 14 अगस्त वर्ष 2018 को यह शिकायत दर्ज कराई थी कि थाना क्षेत्र में एक युवक द्वारा बलपूर्वक दुष्कर्म किया. युवती को दस्तावेजों में नाबालिग बताया गया था. जिसके चलते पुलिस ने पॉक्सो एक्ट की कार्रवाई की थी. आरोपी जीतू उर्फ जितेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. 5 वर्षों तक आरोपी के अधिवक्ताओं द्वारा लंबी बहस की गई, आरोपी के अधिवक्ताओं ने न्यायालय के समक्ष सबूत पेश करे, जिसमें ये साबित हुआ कि युवती बालिग थी और उसके साथ जबरदस्ती नहीं की गई थी.

आरोपी के वकील राजन का कहना है कि पीड़िता आरोपी के साथ अपनी मर्जी से ही जाया करती थी. परिवार द्वारा बदनामी के डर से उसने जान से मारने की धमकी और अन्य आरोप लगवाए गए थे. लेकिन 5 साल की लंबी बहस के बाद उसे बरी कर दिया गया है.

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